#विविध
February 13, 2025
हिमाचली सेबों को लगी कुदरत की बुरी नजर, लग रही है यह बीमारी...
हालात नहीं संभले तो बढ़ सकते हैं सेब के दाम, चिंता में हैं बागवान
शेयर करें:
शिमला। हिमाचल में साढे चार हजार करोड़ का बाजार चिंता में डूब गया है, क्योंकि यहां के सेबों को कुदरत की नजर लग गई है। लगातार सूखे के कारण हिमाचल में सेबों को स्कैब नाम की लाइलाज बीमारी निगलने लगी है। बागवानों की चिंता इस बात को लेकर है कि जिस तेजी से जमीन की नमी सूख रही है, उससे जल्दी ही सेब के पौधों का विकास बाधित हो जाएगा। कुल मिलाकर सूखती जमीन और स्कैब बीमारी के कारण सेब के दाम महंगे होने के आसार बढ़ गए हैं।
हिमाचल में मॉनसून के महीने से ही कम बारिश का दौर चल रहा है। दिसंबर-जनवरी में राज्य के 12 में से 11 जिलों में सामान्य से 88 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। इसका असर जहां लोगों के स्वास्थ्य पर देखने को मिल रहा है, तो वहीं सेब की फसल पर भी कुदरत की नजर लगी है। इस साल फरवरी में ही तापमान अधिक होने के कारण सेब के पौधों पर 25 दिन पहले फूल और पत्तियां आ ने लगी हैं। यह फसल के लिए नुकसानदेह है।
अमूमन सेब के पौधों को फल आने तक कम से कम 1100 घंटे की चिलिंग हावर्स चाहिए होती है। इस साल दिसंबर के महीने से शुरू हुई चिलिंग हावर्स की प्रक्रिया फरवरी तक आते-आते सूखे के कारण बाधित हो गई। इसका असर पौधे की ग्रोथ पर पड़ रहा है। कम ग्रोथ के पौधे कुपोषित कहलाते हैं और यही कारण है कि स्कैब की लाइलाज बीमारी से यह पौधे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश फल, फूल और सब्जी उत्पादक संघ भले ही बागवानों को जल संचयन, मल्चिंग और छोटे गड्ढे बनाकर पानी बचाने की सलाह दे रहा है, लेकिन यह एक महंगा बचाव है और सरकार इसके लिए किसानों को कोई सब्सिडी नहीं देती। बागवानों को चिंता यह है कि अगर फरवरी में बिना बारिश के तापमान बढ़ता रहा तो आने वाले समय में आफत के बादल और भी गहरे होंगे।
हिमाचल प्रदेश में सेब की आर्थिकी से 10 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। बीते साल सेब के दाम में कमी से बागवानों को 400 से 500 रुपए तक का नुकसान प्रति पेटी झेलना पड़ा था। इन हालात में कमजोर माली हालत के साथ बागवान अब स्कैब बीमारी और सूखे को झेल पाने की हालत में नहीं है। उन्हें अब सिर्फ सरकार से मदद की आस है।