ऊना। हिमाचल प्रदेश 12 जिलों से बना हुआ यूं तो पहाड़ी राज्य है, मगर इसमें एक जिला ऐसा भी है जिसे मैदानी जिला कहा जाता है। आज इस जिला की चर्चा इसलिए भी, क्योंकि यह जिला आज ही के दिन अस्तित्व में आया था और अब तक का प्रदेश में यह अंतिम प्रशासनिक जिला भी है।
वर्ष 1966 में बना था कांगड़ा का हिस्सा
साल 1972 में एक सितंबर के दिन हिमाचल प्रदेश निर्माता व प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. YS परमार द्वारा प्रदेश के 12वें जिले के रूप में ऊना का गठन किया गया था। दरअसल, ऊना पड़ोसी राज्य पंजाब के होशियारपुर जिला की तहसील हुआ करती थी।
वर्ष 1966 के समय जब पंजाब राज्य का पुनर्गठन हुआ तो ऊना को हिमाचल के कांगड़ा जिला में शामिल किया गया था। जिला कांगड़ा का हिस्सा बनने के छः वर्ष बाद साल 1972 में ऊना स्वतंत्र जिला बना।
नामकरण के पीछे की मान्यता
इसके नामकरण के संदर्भ में यह कहा जाता है कि, मत्स्य पुराण के मुताबिक ऊना शब्द की व्युत्पत्ति पहाड़ी राज्य के रूप में की गई है। यह ऊन के व्यापार के लिए मशहूर के लिए मशहूर हुआ करता था। विदित हो कि, मत्स्य पुराण हिंदू धर्म के अठारह प्रमुख पुराणों में से एक है।
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यह पुराण भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कथा पर केंद्रित है, जिसमें उन्होंने एक विशाल मछली का रूप धारण कर संसार की रक्षा की थी। मत्स्य पुराण की रचना संस्कृत भाषा में की गई है और इसमें लगभग 14,000 श्लोक हैं।
यह भी हैं मत्स्य पुराण की विशेषताएं
मत्स्य पुराण न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है, बल्कि यह पुराण इतिहास, संस्कृति और समाज के विभिन्न पहलुओं का भी वर्णन करता है। इसके माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं को समझने का अवसर मिलता है।
कौन थे बाबा कलाधारी?
कहा जाता है कि, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के समकालीन माने जाने वाले गुरु नानक देव जी के वंशज रहे बाबा कलाधारी जी ने ऊना की जनता को पहली बार श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र वाणी का रसपान करवाया था।
ऊना जिला के बुजुर्ग लोग बताते हैं कि, जब भी कोई भक्त बाबा कलाधारी से कुशलक्षेम पूछता तो वे हमेशा अपनी तर्जनी अंगुली से आसमान की तरफ इशारा करते हुए जबाब देते थे कि, "सब उन्हां दी किरपा है" यानी सब उनकी अर्थात परमेश्वर की कृपा है।
आज भी ऊना में मिलता है पंजाबी टच
हालांकि ऊना को जिला के रूप में अस्तित्व में आए आज 52 साल हो गए है, बावजूद इसके ऊना के लोगों की सांस्कृतिक एवं सभ्यता के साथ-साथ बोलचाल की भाषा पंजाबी मिश्रित ही है।
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ऊना जिला को खास बनाती हैं ये बातें
ऊना जिला की भौगोलिक स्थिति इसे विशेष बनाती है। यह सतलुज नदी के किनारे स्थित है और इसकी ऊंचाई लगभग 369 मीटर से 1,105 मीटर के बीच है। जिला की भूमि का अधिकांश हिस्सा मैदानी है, जो इसे कृषि के लिए उपयुक्त बनाता है। ऊना में गर्मियों में तापमान अधिक होता है, जबकि सर्दियों में यह ठंडा रहता है। मानसून के दौरान अच्छी वर्षा होती है, जो कृषि के लिए लाभदायक है।
ऊना के त्योहार
ऊना जिला की संस्कृति हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है। यहां के लोग पारंपरिक त्योहारों जैसे कि लोहड़ी, होली और दिवाली को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। यहां का लोकसंगीत और लोकनृत्य भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध हैं।
ऊना में धार्मिक स्थल
बात अगर धार्मिक दृष्टि से करें तो ऊना जिले में कई प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। इनमें चिंतपूर्णी मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो प्रदेश के पांच शक्तिपीठों में से एक है। यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। इसके अलावा यहां बाबा बड़भूषण मंदिर और डेरा बाबा बड़भाग सिंह जैसे धार्मिक स्थल भी जिले में स्थित हैं।
आज भी प्रसिद्ध है हथकरघा उत्पाद
यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। यहां धान, गेहूं, मक्का और सब्जियों की खेती व्यापक रूप से की जाती है। इसके अलावा, जिले में कुछ छोटे और मध्यम उद्योग भी स्थापित हैं, जो आर्थिक विकास में योगदान करते हैं। यहां पर बने हथकरघा उत्पाद आज भी प्रसिद्ध हैं।
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बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं
मौजूदा समय में ऊना में बुनियादी सुविधाओं का बेहतर विकास हुआ है। जिले में शिक्षा के क्षेत्र में कई सरकारी और निजी स्कूल, कॉलेज, और तकनीकी संस्थान हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों का एक नेटवर्क है, जो स्थानीय निवासियों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है।
कनेक्टिविटी के लिए यहां बिछा है जाल
ऊना का परिवहन नेटवर्क भी अन्य हिमाचल के जिलों से मजबूत है। जिसमें सड़कों और रेलवे की अच्छी कनेक्टिविटी शामिल है। जल आपूर्ति और बिजली की सुविधाएं भी नियमित हैं। इसके अलावा यहां बैंकिंग, संचार और पर्याप्त बाजार जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जो यहां के निवासियों के जीवन को और भी अधिक सुविधाजनक बनाती हैं।
NEWS 4 HIMACHAL की समस्त टीम की ओर से आप सभी ऊना निवासियों को इस पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं।