हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश में हर त्योहार काफी धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दिवाली को लेकर देवभूमि हिमाचल में अलग ही धूम देखने को मिलती है।मगर हिमाचल का एक गांव ऐसा भी है जहां दिवाली का त्योहार नहीं मनाया जाता है।
यहां नहीं मनाई जाती दिवाली
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में भोरंज उपमंडल में स्थित सम्मू गांव की। इस गांव में कई दशकों से ना तो दिवाली मनाई गई है और ना ही किसी घर पर पकवान बनाए गए हैं। इस बार भी यहां कोई रौनक नहीं दिखाई दे रही है।
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गांव को मिला है श्राप
लोगों का कहना है कि इस गांव को एक श्राप मिला है। जिसके कारण यहां दिवाली का जश्न नहीं मनाया जाता है। हालांकि, अगर कोई भी व्यक्ति ऐसा करता है तो यहां पर आपदा आ जाती है या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है। लोगों का कहना है कि दिवाली के दिन यहां सिर्फ दीप जलाए जाते हैं और केवल सती की मूर्ति की पूजा की जाती है।
अगर कोई व्यक्ति गलती से पटाखे जला दे या फिर घर पर कोई पकवान बना दे तो फिर गांव में आपदा आती ही या फिर बड़ा नुकसान हो जाता है।
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चेहरों पर छलकती है मायूसी
ग्रामीणों ने बताया कि कई दशकों से गांव में दिवाली नहीं मनाई गई है। जब भी दिवाली का त्योहार आता है तो सभी जगह चहल-पहल होती है, लेकिन सम्मू गांव के लोगों के चेहरों पर मायूसी होती है। लोगों को श्राप का इतना खौफ है कि दिवाली के दिन लोग घरों से बाहर भी निकलना जरूरी नहीं समझते हैं।
नहीं मिल पा रही श्राप से मुक्ति
लोगों ने बताया कि गांव को इस श्राप से मुक्ती दिलवाने के लिए कई बार हवन-यज्ञ करवाए गए हैं। तीन साल पहले भी गांव में एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया गया था, लेकिन फिर भी कुछ हल नहीं निकल पाया। आज तक गांव को इस श्राप से मुक्ति नहीं मिल पाई है।
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बताया जा रहा है कि आज से दो साल पहले गांव के एक-दो परिवारों ने दिवाली मनाने की कोशिश की थी। ऐसा करते ही उनके घर में आग लग गई थी। इतना ही नहीं कुछ लोगों की बीमारियों के कारण मौत हो गई थी। इसके बाद से भी लोगों के मन में दिवाली मनाने को लेकर भय और बढ़ गया है। ऐसे में गांव के लोग दिवाली मनाने का ख्याल भी मन में नहीं लाते हैं।
किसने और क्यों दिया श्राप?
कहा जाता है कि गांव की एक महिला का पति राजा के दरबार में सैनिक था। दिवाली वाले दिन महिला दिवाली मनाने के लिए अपने बच्चे के साथ ससुराल से मायके के लिए निकली थी। मगर जैसे ही महिला गांव से कुछ दूरी पर पहुंची तो उसे पता चला कि उसके पति की मौत हो गई।
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महिला पति की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और वो अपने पति की चिता पर बच्चे के साथ सती हो गई। इस दौरान महिला ने पूरे गांव को श्राप दिया कि इस गांव के लोग कभी भी दिवाली का त्योहार नहीं मना पाएंगे। इसके बाद से लेकर आज तक इस गांव में कभी दिवाली नहीं मनाई गई है।