शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी के उप नगर संजौली में बने अवैध मस्जिद का विवाद बढ़ता जा रहा है। एक ओर एमसी कोर्ट ने इस केस में अगली तारीख दे डाली है वहीं, हिंदु संगठनों ने अवैध मस्जिद निर्माण पर आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं संजौली में इस समय चप्पे चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात किए है।
11 सितंबर को होगा उग्र आंदोलन
बीते एक सप्ताह से दो समुदायों के बीच चल रहे इस विवाद के बीच अवैध मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर हिंदु संगठन ने प्रदर्शन का एलान किया है। 11 सितम्बर को 11 बजे संजौली में बड़ा आंदोलन होने का समाचार प्राप्त हो रहा है।
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धारा 144 की तैयारी में पुलिस
वही, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संजौली में मस्जिद विवाद पर पनप रहा गतिरोध खत्म नहीं होता है तो पुलिस क्षेत्र में धारा144 लगाने की तैयारी में है। क्योंकि इस आंदोलन में विभिन्न मंडल , NGO , सामाजिक व धार्मिक संगठन शामिल होंगे की बात सामने आ रही है। ऐसे में पुलिस किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती। हिंदू संगठनों ने पहले ही चेताया है कि वह 11 सितंबर को उग्र रूप से प्रदर्शन करेंगे और अवैध बनी मस्जिद को तोड़कर रहेंगे।
पहले भी आई थी प्रदर्शनकारियों की भीड़
बीते रविवार को मस्जिद विवाद पर हुए चौड़ा मैदान के प्रदर्शन के दौरान भी संजौली में बिना पुलिस की अनुमति के धरना - प्रदर्शन करने के लिए लोग इकट्ठा हो गए थे। जिसके बाद उन्हें वहां से हटाने के लिए पुलिस तैनात की गई।
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क्या है मामला
दरअसल शिमला के मल्याणा में 30 अगस्त को दो समुदायों के बीच झगड़ा हो गया था। इस झगड़े में विक्रम सिंह नाम के एक युवक के सिर पर गंभीर चोटें आई थी। आरोप था कि उस पर हमला करने वाले मुस्लिम समुदाय के युवक थे। जिन्होंने बाद में मस्जिद में आकर शरण ली। जिसके बाद सैंकड़ो लोगों ने मस्जिद के बाहर आकर प्रदर्शन किया। उसी दौरान खुलासा हुआ कि संजौली में बनी मस्जिद के ऊपर की चार मंजिलों का निर्माण अवैध तरीके से किया गया है।
मंत्री अनिरुद्ध ने सदन में रखी थी मस्जिद गिराने की मांग
हिंदू संगठनों ने इन अवैध मंजिलों को गिराने की मांग की और संजौली में जोरदार प्रदर्शन किया। इसी बीच यह मामला सदन में भी गूंजा। जिसमें ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कागजात रखते हुए दावा किया कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बनी हुई है।
जमीन सरकार की है, 14 साल में मामले में 44 पेशियां हो गईं, लेकिन कोई निर्णय नहीं आया। मंत्री ने इस मस्जिद को गिराने की मांग भी सदन में कर डाली। जिसके बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंज उठा।
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कमिश्नर कोर्ट में नहीं दिखा पाए कोई रिकॉर्ड
इसी बीच बीते रोज शनिवार को कमिश्नर कोर्ट में मस्जिद पर सुनवाई हुई। जिसमें लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से वकील जगतपाल ठाकुर ने 20 पन्ने का आवेदन दाखिल कर उनका पक्ष सुने जाने की अपील की। कोर्ट में ना तो निगम के जेई निर्माण का रिकॉर्ड बता पाए और ना ही वक्फ बोर्ड के वकील मस्जिद निर्माण को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए।
5 अक्तूबर को होगी अगली सुनवाई
नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट जिसे राजस्व अदालत कहा जाता है में निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्रि ने मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को तय की और उसमें जेई को मौके पर निर्माण की रिपोर्ट रखने के आदेश दिए। अगली सुनवाई में वक्फ बोर्ड की तरफ से भी निर्माण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। लेकिन इस सब से हिंदू संगठन संतुष्ट नहीं हो पाए।
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कब से चल रहा अवैध मस्जिद निर्माण का मामला
अवैध मस्जिद निर्माण का यह मामला साल 2010 में सामने आया था। उस समय मस्जिद कमेटी ने सिर्फ पिल्लरों का ही निर्माण किया था। यह मामला 2012 तक चलता रहा और इस बीच मस्जिद निर्माण कमेटी ने वक्फ बोर्ड से निर्माण संबंधी एनओसी भी ले ली।
हालांकि वक्फ बोर्ड ने एनओसी देते समय यह साफ किया था कि कमेटी अपने स्तर पर निर्माण कर सकती है, लेकिन इसके लिए उसे निगम से जरूरी अनुमतियां लेनी होंगी। मस्जिद कमेटी ने एनओसी निगम में जमा किया साथ ही मैप भी जमा किया, लेकिन उसमें बहुत सी कमियां थीं।