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November 19, 2025

जिंदगी और मौ*त के बीच जूझ रहा पति, इलाज के लिए नहीं है पैसे- CM सुक्खू से पत्नी को उम्मीद

अब तक के इलाज पर करीब 10 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं

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Ajay Kumar Treatment Money help Sukhu Government

मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का रहने वाला अजय कुमार उर्फ पिछले दिनों मोहाली में हुए दर्दनाक हिट-एंड-रन हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। सड़क पर किसी तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से नीलू को कई गम्भीर चोटें आईं, जिनमें पैरों और रीढ़ से संबंधित चोटें सबसे ज्यादा गंभीर बताई जा रही हैं।

हिट-एंड-रन हादसा

हादसे के बाद उन्हें स्थानीय अस्पताल से चंडीगढ़ के एक बड़े निजी अस्पताल में रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने आपात स्थिति में उसका पहला बड़ा ऑपरेशन किया। परिवार के मुताबिक नीलू की हालत अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।

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इलाज के लिए 10 लाख हुए खर्च

डॉक्टरों ने स्पष्ट कहा है कि करीब दो महीने बाद एक और बड़ा ऑपरेशन करना पड़ेगा, जिसके बिना उनका पूरी तरह से ठीक होना संभव नहीं है। पहले हो चुके ऑपरेशन और अब तक के इलाज पर करीब 10 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं-जो इस परिवार के लिए एक बहुत बड़ी राशि है।

अभी और पैसों की जरूरत

आने वाले उपचार और दूसरे ऑपरेशन का खर्च भी लगभग इतना ही होने का अनुमान है। नीलू अपने घर का इकलौता कमाऊ सदस्य था। वही परिवार की आर्थिक रीढ़ था। नीलू सरकाघाट का रहने वाला है।

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परिवार ने लगा दिया सारा पैसा

नीलू की पत्नी आज पूरी तरह से असहाय स्थिति में हैं। घर की जमा-पूंजी, बैंक बैलेंस और जो भी बचत थी, सब कुछ इलाज पर खर्च हो चुका है। परिवार अब कर्ज लेने की स्थिति में भी नहीं है क्योंकि मासिक आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं बचा।

सुक्खू सरकार से उम्मीद

नीलू की पत्नी ने प्रदेश सरकार, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से तत्काल आर्थिक सहायता की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय पर आर्थिक सहयोग नहीं मिला तो नीलू का इलाज रुक सकता है, जो जीवन के लिए खतरा बन सकता है।

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परिवार पर कठिन समय

उन्होंने स्थानीय नेताओं, सामाजिक संगठनों और आम जनता से भी मदद की अपील की है ताकि नीलू का इलाज बिना रुकावट जारी रहे और परिवार इस कठिन समय से निकल सके।स्थानीय लोगों का कहना है कि नीलू मेहनतकश, शांत स्वभाव और मिलनसार व्यक्ति है।

इलाज नहीं हुआ तो...

हादसे की खबर जैसे ही सरकाघाट पहुंची, इलाके में चिंता की लहर दौड़ गई। कई लोग परिवार की मदद के लिए आगे आने लगे हैं, लेकिन बड़े ऑपरेशन और लंबे उपचार के सामने यह सहयोग अभी भी पर्याप्त नहीं है। सरकाघाट का यह परिवार आज प्रशासनिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर सहारे की उम्मीद लगाए बैठा है। उनकी एक ही गुहार है- नीलू को बचा लिया जाए, ताकि घर दोबारा संभल सके।

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