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June 27, 2024

अद्भुत हिमाचल: यहां मनाई जाती है डायन की रात, घूमते हैं भूत-प्रेत और काली शक्तियों

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शिमला। देवभूमि कहलाए जाने वाले हिमाचल प्रदेश में देव शक्तियों के साथ-साथ दैत्य शक्तियां भी मौजूद हैं। जैसे यहां हर साल देवी-देवता आते हैं। वैसे ही यहां साल में दो दिन ऐसे भी आते हैं, जब यहां काली शक्तियों का साया रहता है।

आसान नहीं है यकीन कर पाना

आज हम आपको देवभूमि हिमाचल की एक ऐसी मान्यता के बारे में बताएंगे- जिस पर यकीन करना आसान नहीं है। सदियों से अभी तक लोग यहां चुड़ेलों की दो रातें मनाते आ रहे हैं।

मनमर्जी से घूमते हैं भूत-प्रेत

हिमाचल के लोगों का कहना है कि साल के दो दिन ऐसे होते हैं- जब भगवान शिव के गणों, भूत प्रेतों सभी को अपनी मनमर्जी से घूमने की पूरी आजादी होती है। इस दौरान तांत्रिक काली शक्तियों को जागृत करने के लिए साधना करते हैं। यह भी पढ़ें: एक साल में 1200 करोड़ का नुकसान: बिजली बोर्ड का घाटा 3 हजार करोड़ के पार

ज्यादा होती हैं बुरी शक्तियां

मान्यता है कि बुरी शक्तियों से लोगों को बचाने के लिए सभी देवी-देवता सृष्टि की रक्षा छोड़ असुरों के साथ युद्ध करने के लिए घोघड़ धार पर चले जाते हैं। अमावस्या की काली रात में भूतों और देवताओं में रण होता है। इन दौरान बुरी शक्तियों का असर सबसे ज्यादा होता है।

आती हैं चुड़ेलों की 2 रातें

इस अमावस्या की रात को डगयाली या फिर चुड़ेलों की रात कहा जाता है। अमावस्या की रात को छोटी डगयाली कहा जाता है। जबकि, उसके अलगे दिन अमावस्या को बड़ी डगयाली होती है।

डर के साए में रहते हैं लोग

डगयाली की दोंनो काली रातों में लोग डर के साये में रहते हैं। छोटी डगयाली के दिन लोग अरबी के पत्तों के पतीड़ बनाते हैं। इस पतीड़ के एक पीस को दरवाजे पर बैठकर काटा जाता है। इसे डायन की नाक काटना कहा जाता है। वहीं, बड़ी डगयाली के दिन लोग घरों के बाहर टिंबर के पत्ते और लकड़ियां लटकाते हैं। यह भी पढ़ें: 10 हजार रुपए में नया फोन चाहिए: ये रहा सबसे बेस्ट ऑप्शन, 108MP Camera

मुसीबतों का टूटता  पहाड़

मान्यता है कि देवता और बुरी शक्तियों के बीच की लड़ाई में अगर देवता जीत जाते हैं तो पूरा साल सुख-शांति से गुजरता है। हालांकि, अगर ऐसा नहीं होता है तो लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट जाता है।

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