शिमला। हिमाचल प्रदेश में कैंसर को लेकर बड़े खतरे की घण्टी बज चुकी है। एक रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रदेश में 32 हजार से अधिक मरीज कैंसर से पीड़ित है। विधानसभा मानसून सत्र के समय हुए इस आंकड़े के खुलासे के बाद से हर कोई चिंतत हो चला है।
क्या कहती है रिपोर्ट
MLA इंदौरा मलेंद्र राजन के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शाडिल ने अपना लिखित जवाब पेश किया है। जिसमें ये खुलासा हुआ है कि प्रदेश में इस समय दमा के 3138 मरीज हैं. वहीं कैंसर से पीड़ितों की संख्या 32 हजार के पार है।
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टांडा में सबसे अधिक मामले
जनसंख्या के घनत्व में प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में स्थित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल टांडा में सबसे ज्यादा मरीज कैंसर के सामने आए हैं। यहां पर कुल 19,135 मरीज कैंसर का इलाज करवा रहे हैं।
IGMC शिमला में कैंसर के 11 हजार मरीज
वहीं, प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल IGMC शिमला में कैंसर के 11, 343 मरीज इलाजरत हैं। स्पताल में दमा के 388 मामले भी सामने आए हैं। इसके अलावा नाहन के डॉ. यशवंत सिंह परमार मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अस्थमा के 285 और कैंसर के 1, 471 मरीज इलाजरत हैं।
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मेडिकल कॉलेज नेरचौक में अस्थमा के 680 मामले
इधर, मंडी के नेरचौक में श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज में अस्थमा के 680 मरीज सामने आए है। यहां कैंसर के मरीजों का आंकड़ा 424 तक पहुंच गया है। इसी तरह पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल चंबा में कैंसर का 1 मरीज इलाज करवा रहा है।
इसी तरह इस अस्पताल में अस्थमा के 34 मरीज सामने आए हैं। हमीरपुर के डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अस्थमा के 561 और कैंसर के 535 मरीज हैं।
कैंसर के लक्षण
- असामान्य गांठ या सूजन: शरीर के किसी भी हिस्से में बिना कारण सूजन या गांठ का बनना।
- अचानक वजन घटना: बिना किसी डाइट या एक्सरसाइज के अचानक वजन कम होना।
- थकान: लगातार थकान या कमजोरी महसूस करना।
- लगातार दर्द: शरीर के किसी हिस्से में लंबे समय से दर्द रहना, विशेषकर जो इलाज से ठीक न हो।
- त्वचा में बदलाव: तिल या मस्सों का आकार, रंग या आकार में बदलाव होना।
- खून आना: खांसी, मल, या मूत्र में खून आना, जो कैंसर का संकेत हो सकता है।
- खांसी या सांस लेने में दिक्कत: विशेषकर यदि यह लंबे समय तक बना रहता है।
- पाचन समस्याएं: लंबे समय तक अपच, निगलने में कठिनाई, या भूख में कमी।
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कैंसर से बचाव व सावधानियां
- धूम्रपान और तंबाकू से बचाव: धूम्रपान और तंबाकू का सेवन न करें, क्योंकि ये फेफड़े, मुंह और गले के कैंसर का प्रमुख कारण होते हैं।
- संतुलित आहार: हरी सब्जियों, फल, साबुत अनाज, और प्रोटीन युक्त आहार लें। जंक फूड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से बचें।
- शारीरिक सक्रियता: नियमित व्यायाम करें, जिससे वजन नियंत्रित रहता है और कैंसर का खतरा कम होता है।
- सूर्य से बचाव: सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन लगाएं और धूप में कम समय बिताएं।
- शराब का सेवन सीमित करें: शराब का सेवन कम से कम करें, क्योंकि यह कई प्रकार के कैंसर का कारण बन सकता है।
- स्वास्थ्य जांच: नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं और किसी असामान्य लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्तन और प्रोस्टेट कैंसर के लिए स्क्रीनिंग करवाना आवश्यक है।
समय पर पहचान, स्वस्थ जीवनशैली, और सावधानियां अपनाकर कैंसर से बचाव और नियंत्रण संभव है।
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अस्थमा के लक्षण
- सांस लेने में कठिनाई: सांस लेते समय सीने में जकड़न महसूस होती है और गहरी सांस लेने में कठिनाई होती है।
- सांस फूलना: हल्की शारीरिक गतिविधि या व्यायाम के बाद भी सांस फूलने लगती है।
- खांसी: खासकर रात में या सुबह जल्दी उठते समय खांसी होती है, जो अस्थमा का संकेत हो सकता है।
वेज़िंग (सीटी जैसी आवाज): सांस लेते समय एक सीटी जैसी आवाज आना।
- सीने में दबाव: सीने में भारीपन या दबाव महसूस होना।
- रात में खांसी या सांस फूलना: रात में अधिक खांसी आना या सांस लेने में कठिनाई से नींद टूटना अस्थमा के लक्षण हैं।
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अस्थमा से बचाव और सावधानियां
- एलर्जी से बचाव: जिन पदार्थों से एलर्जी होती है, उनसे दूर रहें। धूल, धुआं, परागकण, और पालतू जानवरों के संपर्क से बचने की कोशिश करें।
- वातावरण का ध्यान रखें: हवा की गुणवत्ता खराब होने पर, जैसे धुंध या प्रदूषण के समय, बाहर निकलने से बचें। ठंड में, मुंह और नाक को ढक कर रखें।
- नियमित दवा का सेवन: अस्थमा के मरीजों को डॉक्टर द्वारा दी गई नियंत्रक दवाएं नियमित रूप से लेनी चाहिए, जिससे अटैक की संभावना कम हो जाती है। आकस्मिक (रिलीवर) दवा हमेशा अपने पास रखें।
- धूम्रपान से बचें: धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों का सेवन अस्थमा को और गंभीर बना सकता है, इसलिए इनसे दूर रहें।
- शारीरिक व्यायाम: हल्का शारीरिक व्यायाम नियमित रूप से करें, जो फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही व्यायाम करें।
- इंहेलर का उपयोग: लक्षणों के बढ़ने पर सही तरीके से और समय पर इनहेलर का उपयोग करें।
समय पर पहचान, उचित इलाज, और सावधानी बरतकर अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है और रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।