लाहौल-स्पीति। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के 6 गांवों में खतरा बन गया है। मानसून के चलते इन गांव का वजूद तक मिटने पर आ गया है। प्रदेश में बरस रहे मेघ की मार जिला के ये 6 गांव भुगत रहे हैं।
ऐसे में ग्रामीण अब अपना नया बसेरा कहां बनाएंगे इसकी चिंता में हैं। इनमें जाहलमा पंचायत के जसरथ, तडंग, लिंदूर, मथाड़ घाटी का करपट, स्पीति का शीचलिंग और सगनम गांव शामिल हैं.
लैंडस्लाइड के कारण आई दरारें
जानकारी के अनुसार, लाहौल-स्पीति के इन गांव में लैंडस्लाइड के चलते जमीनों में दरारें आ गई हैं। जिसके कारण यहाँ के स्थानीय लोगों के घरों पर खतरा बन गया है। कई घर खतरे की जद में आ गए हैं। कई में दरारें पड़ना शुरू हो गई है। ऐसे में लोगों के सामने दिक्कत ये है कि घरों को छोड़ कहां रहें।यहां पर कुछ लोग तंबू में रहने को मजबूर हो गए हैं।
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सदन में उठा इन गांव का मुद्दा
इन गांव में आई विपदा से घाटी में चिंता का माहौल है।वहीं, इस मुद्दे को लाहौल-स्पीति की नवनिर्वाचत विधायक अनुराधा राणा ने सदन में उठाया है। उन्होंने सदन में बताया कि जाहलमा पंचायत के गांव और स्पीति के शीचलिंग और सगनम गांव में बरसात के कारण ऐसे हालात पैदा हुए हैं कि यहां के लोगों को गांव में रहना काफी मुश्किल हो गया है।
विधायक ने कहा कि इससे पहले कोई अनहोनी और बुरी घटना घटे उससे पहले सरकार को लोगों के रहने के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि डिजास्टर के मामले में पुनर्स्थापन के लिए केंद्र को ऐसा प्रपोजल बनाकर भेजना चाहिए जिससे इन गांवों को सुरक्षित किया जा सके। विधायक ने मानसून सत्र में प्रमुखता से उठाया गया है।
घाटी के पुनर्स्थापना में कानून अडंगा बना
लाहौल-स्पीति जिले में लोगों के पास अपनी जमीनें काफी कम है। करीब 89 प्रतिशत जमीन सरकारी है। अब ऐसे में कई प्रभावित गांवों के लोगों की जमीनें बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गई हैं । लोगों के पुनर्स्थापना में FCA आड़े आ रहे हैं।
क्या कहते हैं DC
लाहौल स्पीति के DC राहुल कुमार जानकारी देते हुए कहा कि लेकर लाहौल स्पीति प्रशासन योजना बना रहा है कि किस तरह संकटग्रस्त गांवों की पुनर्स्थापना की जाए। इसकी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। वहीं स्टीड भी की जा रही है कि कितने गांव सुरक्षित है और कितने खतरे के जद में।
समेज गांव का मिट जाएंगे घाटी के गांव
बता दें कि हाल ही में आई आपदा में हिमाचल प्रदेश के रामपुर स्थित समेज गांव का अस्तित्व मिट चुका है। पानी की लहरों के साथ पूरा गांव भी बह गया। इस घटना में 36 लोगों ने अपनी जान गवाईं हैं। वहीं, अब घाटी के 6 गांव पर भी आफत आन पड़ी है। ऐसे में लोगों को चिंता सता रही है कि जान बचाकर कहां बसा जाए।