शिमला। हिमाचल प्रदेश में साल 2024 सुक्खू सरकार के लिए कई सियासी संकट लेकर आया। कभी सरकार की स्थिति नाजुक हुई तो कहीं संकटों से बाहर आते हुए सुक्खू सरकार ताकतवर भी दिखी। साल भर में चले सियासी घमासान के बीच कुछ तारीख हमेशा के लिए यादगार हो गई।
27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव हारी सरकार
प्रदेश में 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी राज्यसभा में सीट हासिल नहीं कर सके। कांग्रेस के पास 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 विधायकों और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन था, लेकिन कांग्रेस के 6 विधायकों और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए भाजपा के प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया। इस कारण दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले। बाद में लॉटरी सिस्टम से भाजपा के हर्ष महाजन को राज्यसभा सदस्य चुना गया, जिससे कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
यह भी पढ़ें : हिमाचल को कभी न भूलने वाला गम दे गया साल 2024- चंद मिनटों में छिन गई थी 53 जिंदगियां
क्रॉस वोट से सुक्खू सरकार पर आया सियासी संकट
कांग्रेस के 6 बागी विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने से सुक्खू सरकार पर बड़ा सियासी संकट आ गया, क्योंकि 28 फरवरी को वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पारित करना था। इस बजट को पारित कराने के लिए 35 विधायकों की समर्थन की आवश्यकता थी। इस बीच विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ, जब भाजपा के 15 विधायकों पर आरोप लगा कि उन्होंने स्पीकर की चेयर पर कागज फेंके और मार्शल के साथ मारपीट की। इस पर स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने 15 भाजपा विधायकों को सस्पेंड कर दिया, जिससे सुक्खू सरकार ने आसानी से बजट पारित करवा लिया।
यह भी पढ़ें : हिमाचल : अपनी बाइक से काम पर जा रहा था दर्शन, वाहन चालक ने कुचला
PWD मंत्री ने दिया इस्तीफा
28 फरवरी को, PWD मंत्री और पूर्व CM वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे हिमाचल की राजनीति में भूचाल आ गया। इस इस्तीफे ने सुक्खू सरकार को बैकफुट पर डाल दिया।
यह भी पढ़ें : हिमाचल: ED के सहायक निदेशक ने मांगी थी 25 करोड़ रिश्वत, मामले में बड़ा खुलासा
कांग्रेस के 6 विधायक डिसक्वालीफाई किए
29 फरवरी को, स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कांग्रेस के 6 बागी विधायकों को एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत डिसक्वालीफाई कर दिया। ये विधायक थे - सुधीर शर्मा (धर्मशाला), देवेंद्र कुमार भुट्टो (कुटलैहड़), चैतन्य शर्मा (गगरेट), राजेंद्र राणा (सुजनापुर), इंद्रदत्त लखनपाल (बड़सर) और रवि ठाकुर (लाहौल स्पीति)। इसके बाद इन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की गई।
23 मार्च को 9 ने BJP का दामन थामा
23 मार्च को कांग्रेस के 6 बागी विधायकों और 3 निर्दलीय विधायकों ने दिल्ली में भाजपा जॉइन कर ली। इनमें हमीरपुर से आशीष शर्मा, नालागढ़ से केएल ठाकुर और देहरा से होशियार सिंह शामिल थे। इसके अगले दिन, इन तीनों निर्दलीय विधायकों ने स्पीकर के पास इस्तीफा देने के लिए भी आवेदन किया।
यह भी पढ़ें : हिमाचल : कमरे में अंगीठी जला सोए थे बाप-बेटे, दोनों ने एक साथ त्यागे प्राण
5 जून को निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार
स्पीकर ने लगभग दो महीने तक इन निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। इस दौरान स्पीकर ने इनसे नोटिस भी जारी किए, जिसमें पूछा गया कि क्या वे किसी दबाव में आकर इस्तीफा दे रहे हैं। तीनों विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से भी न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कोर्ट ने स्पीकर के फैसले में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया। अंततः 3 जून को स्पीकर ने इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
6 में से 4 सीटें जीती कांग्रेस
1 जून को हुए लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में भाजपा ने 4 लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त की। हिमाचल की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा ने चार-जीरो से जीत दर्ज की, जबकि विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने 6 में से 4 सीटें जीत ली। इस चुनाव में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनोट ने मंडी सीट से जीत हासिल की और राजपरिवार के बेटे विक्रमादित्य सिंह को हराया।
यह भी पढ़ें : हिमाचल : खाई में गिरी बस, अमृतसर से चिंतपूर्णी माथा टेकने आए थे श्रद्धालु
CM सुक्खू की पत्नी चुनाव जीती
10 जुलाई को हिमाचल में फिर से तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें हमीरपुर में भाजपा जीत गई, जबकि नालागढ़ और देहरा सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। देहरा सीट पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी ने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और विधानसभा पहुंची। इससे कांग्रेस को फिर से 40 सीटों पर अपना नियंत्रण स्थापित हो गया।