शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी दफ्तरों ने पड़ी CBI की रेड ने हर किसी को हैरान कर दिया है। ED कार्यालय में मनी लॉंड्रिंग से जुड़े दो मामलों में CBI ने आज सुबह करीब 11 बजे एक बार फिर रेड मारी है। इस रेड में CBI की टीम ने कार्यालय के दस्तावेजों को खूब खंगाला। बताया जा रहा है कि इस मामले में एक और बिचौलिए को गिरफ्तार किया गया है।
ढाई करोड़ रिश्वत का है मामला
बताया जा रहा है कि ED कार्यालय में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दो मामलों में ढाई करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा है, जिसकी CBI जांच कर रही है। गिरफ्तार किए गए बिचौलिए को चंडीगढ़ की एक विशेष अदालत में पेश किया गया जहां से उसे एक दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया गया। सीबीआई की टीम ने पांच घंटे तक शिमला स्थित ईडी कार्यालय में जांच की और फिर दस्तावेजों के साथ चंडीगढ़ लौट आई।
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शिमला के ईडी दफ्तर में बदला गया स्टाफ
इस मामले में शिमला के ED कार्यालय के कुछ कर्मचारियों को बदल दिया गया है। विशेष रूप से, चंडीगढ़ में तैनात एक संयुक्त निदेशक को हटाकर दिल्ली मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है। CBI की जांच अब भी जारी है और मुख्य आरोपी ED के सहायक निदेशक विशाल दीप सिंह की गिरफ्तारी की कोशिशें तेज हो गई हैं। विशाल दीप सिंह अभी भी फरार है और उसे सस्पेंड कर दिया गया है।
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पिछले एक महीने से चल रही है जांच
CBI पिछले एक महीने से इस मामले की जांच कर रही थी, लेकिन पहले सुबूतों की कमी के कारण कार्रवाई नहीं हो पा रही थी। 24 दिसंबर को दो मनी लॉन्ड्रिंग शिकायतों के बाद रिश्वत मांगने का मामला सामने आया, जिसके बाद CBI ने शिमला स्थित ईडी कार्यालय पर छापा मारा।
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मोबाइल लोकेशन हो रही है ट्रेस
विशाल दीप सिंह का भाई विकास दीप सिंह को CBI ने गिरफ्तार किया है । बताय जा रहा है कि उसने 55 लाख रुपये की रिश्वत के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। विकास दीप ने सीबीआई को बताया कि उसका भाई विशाल दीप सिंह का मोबाइल गुरुग्राम स्थित एक कोठी में है। CBI ने इस जानकारी के आधार पर गुरुग्राम पहुंचकर आरोपी का मोबाइल रिकवर करने की कोशिश शुरू कर दी है। मोबाइल की लोकेशन से यह पता चल सकेगा कि विशाल दीप सिंह किस जगह पर था और कब तक वहां मौजूद था।
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1 साल पहले ही हुई थी प्रतिनियुक्ति
बता दें कि विशाल दीप सिंह को एक साल पहले ईडी में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था। इससे पहले वह कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड में तैनात था। अब, विभागीय स्तर पर उसे उसके मूल विभाग में वापस भेजने की तैयारी है, ताकि जांच में कोई बाधा न आए। यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वतखोरी के खिलाफ चल रही जांच को और अधिक जटिल बना रहा है और सीबीआई ने इसे अपनी प्राथमिकता बना लिया है।