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December 24, 2024

हिमाचल : प्रधान व उपप्रधान हुए सस्पेंड- विकास कार्य ठप होने पर हुई कार्रवाई

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बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने ग्राम पंचायत मैहथी के प्रधान मीना देवी और उप-प्रधान श्याम लाल चौधरी को उनके पद से निलंबित कर दिया है। यह निर्णय पंचायत में पिछले दो वर्षों से चल रहे विवादों और विकास कार्यों में रुकावट के कारण लिया गया।

ऐसे हुआ था विवाद शुरू

बताते चलें कि पंचायत में चल रहे विवादों की शुरुआत उप-प्रधान श्याम लाल चौधरी द्वारा प्रधान के खिलाफ की गई शिकायत से हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधान पंचायत की बैठकों में तानाशाही रवैया अपना रही हैं और अन्य पदाधिकारियों का सहयोग नहीं कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप पंचायत की बैठकें नियमित नहीं हो पा रही थीं, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो गए थे। यह भी पढ़ें : CM सुक्खू को आया महाकुंभ का निमंत्रण, योगी सरकार के दो मंत्री पहुंचे शिमला

पंचायत सदस्यों ने की थी शिकायत

इसके बाद अन्य पंचायत सदस्यों ने भी प्रधान और उप-प्रधान के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई। आरोप था कि प्रधान के पति पंचायत के कार्यों में हस्तक्षेप कर रहे हैं और कर्मचारियों को धमका रहे हैं। यह भी पढ़ें : हिमाचल : 20 साल से लापता थी महिला- प्रशासन ने परिवार से मिलवाया

अधिकारियों ने बिठाई थी जांच कमेटी

इन शिकायतों की जांच के लिए खंड विकास अधिकारी और पर्यवेक्षकों की एक कमेटी बनाई गई। जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि पंचायत में बिजली, पानी और अन्य सुविधाओं के बिलों का भुगतान नहीं किया गया था जिससे पंचायत कार्यालय का बिजली कनेक्शन तक काटने की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इसके अलावा, प्रधान और उप-प्रधान के बीच आपसी तालमेल की कमी के कारण पंचायत की बैठकों का संचालन भी विफल हो रहा था। यह भी पढ़ें : हिमाचल में रिश्वत लेता JE गिरफ्तार: बिल क्लियर करने के लिए मांगे थे 50 हजार

व्यवहार में कोई सुधार नहीं होने पर हई कार्रवाई

उपायुक्त ने पंचायती राज अधिनियम के नियम 142 के तहत प्रधान और उप-प्रधान दोनों को निलंबित कर दिया। साथ ही, उन्होंने प्रधान को पंचायत की चल-अचल संपत्ति पंचायत सचिव को सौंपने का निर्देश दिया। यह भी पढ़ें : हिमाचल : कपड़े बेचने के नाम करते थे नशे का व्यापार, पुलिस वालों ने धरे दो फेरी वाले वहीं, स्थानीय विकास कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए खंड विकास अधिकारी के निर्देश पर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई थी। हालांकि, पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्रधान और उप-प्रधान के व्यवहार में कोई सुधार नहीं हुआ था और पंचायत के कर्मचारी भी परेशान हो रहे थे।

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