शिमला। हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला में चिट्टा तस्करी के मामले में हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले में "शाही महात्मा" नामक गिरोह की सक्रियता और उसके तंत्र को समझने के लिए की गई जांच में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आई हैं। पुलिस के अनुसार, चिट्टे की तस्करी को आर और एम कोड के माध्यम से संचालित किया जाता था। ये कोड यह दर्शाते थे कि चिट्टे की सप्लाई किस व्यक्ति को की जानी है, जिससे यह गिरोह अपने नेटवर्क को गुप्त रखने में सफल हो रहा था।
गिरोह के 2 मुख्य गिरफ्तार
पुलिस ने बुधवार को शाही महात्मा के मुख्य सहयोगी हरिंद्र मांटा को शिमला के गिरि पुल से गिरफ्तार किया है। हरिंद्र मांटा के बारे में जानकारी मिली है कि उसने अपने सरगना के साथ मिलकर पिछले पांच से छह सालों में 3 से 5 करोड़ रुपये की चिट्टा तस्करी की है। गिरोह का यह तंत्र इतनी कुशलता से काम कर रहा था कि पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लग रही थी, जिससे यह कारोबार बिना किसी रुकावट के फल-फूलता रहा।
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एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स कर रही जांच
पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की मदद ली। जब जिले में चिट्टे का नशा तेजी से फैलने लगा, तब पुलिस ने गहन जांच की शुरुआत की। कुछ महीने पहले पुलिस ने शाही महात्मा के कुछ सदस्यों को पकड़ने में सफलता हासिल की, लेकिन गिरोह का सरगना लगातार गिरफ्तारी से बचता रहा।
18 सितंबर को पकड़ी थी बड़ी खेप
बता दें कि 18 सितंबर को पुलिस और एनटीएफ को गुप्त सूचना मिली कि जम्मू-कश्मीर से मुद्दसीर अहमद नामक व्यक्ति चिट्टे की एक बड़ी खेप लेकर शिमला आ रहा है। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने कोटखाई के पास एक टैक्सी को रोका और आरोपी की तलाशी ली। तलाशी के दौरान आरोपी के गुप्तांग के पास से करीब 468 ग्राम चिट्टा बरामद किया गया, जिसकी बाजार में कीमत लगभग 19 लाख रुपये थी। इस खेप का शाही महात्मा के इशारे पर रोहड़ू के लिए भेजा जाना तय था।
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26 सदस्य हो चुके गिरफ्तार
हरिंद्र मांटा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने शाही महात्मा, उर्फ शशी नेगी को भी गिरफ्तार किया। इस गिरोह के करीब 26 सदस्यों को पहले ही पुलिस सलाखों के पीछे भेज चुकी है। पुलिस का दावा है कि आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां होंगी।
क्या कहती है पुलिस
पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा है कि नशा तस्करों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उनकी कोशिश है कि जिले में नशे के कारोबार को समाप्त किया जा सके, जिससे युवा पीढ़ी को इस दलदल में गिरने से रोका जा सके।