हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के मंदिर से छात्राओं के साथ हो रही छेड़छाड़ के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। शिमला, कांगड़ा और मंडी से पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं जहां स्कूली बच्चियों ने अपने शिक्षक को दरिंदा बताया है। ऐसा ही एक और मामला जिला हमीरपुर के सरकारी स्कूल से सामने आया है। जहां 12वीं कक्षा की छात्रा शिक्षक पर छेड़छाड़ करने और अभ्रद व्यवहार करने का आरोप लगाया है।
क्या है पूरा मामला
रक्षाबंधन के पावन पर्व पर हमीरपुर के एक स्कूल में हंगामा हो गया। एक छात्रा के परिजनों ने स्कूल पहुंच कर शिक्षक को खूब पीटा है। दरअसल, मामले में सामने आया है कि छात्रा ने अपने साथ हो रही छेड़छाड़ के बारे में अपने परिजनों को बताया। छात्रा ने बताया कि बीते 16 अगस्त को शिक्षक ने उसके साथ छेड़छाड़ की। जिसके बाद गुस्साए परिजन स्कूल पहुंच गए।
पुलिस में मामला दर्ज
वहीं, परिजनों ने इस मामले की शिकायत महिला पुलिस थाना हमीरपुर में की। शिकायत मिलने के बाद पुलिस भी स्कूल पहुंच गई थी। पुलिस द्वारा मामले में स्कूली शिक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए।
जांच में जुटी पुलिस
वहीं पुलिस की टीम ने स्कूल पहुंच कर पूरे मामले को संभालने की कोशिश की। परिजनों में भारी रोष दिखाई दे रहा था। SP हमीरपुर भगत सिंह ठाकुर मामले की जानकारी देते हुए बताया है कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 354 के तहत केस दर्ज कर किया गया है। मामले में तफतीश जारी है।
क्या कहता है शिक्षा विभाग
उधर, उच्च शिक्षा उपनिदेशक हमीरपुर अनिल कौशल ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षक पर लगे आरोपों की जांच हो रही है। शिक्षा विभाग इस पूरे मामले को गंभीरता से देख रहा है। नियमों के तहत आरोपी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश के स्कूलों से बढ़ रहे मामले
हिमाचल के कई स्कूलों से ऐसे मामले लगातार सामने आ रहें है। 4 महीने पहले शिमला में एक टीचर ने छात्रा से छेड़छाड़ की थी। क्लास रूम से बाहर ले जाकर उसे गंदे वीडियो दिखाए। वहीं, मंडी के लडभड़ोल में सरकारी स्कूल के एक शिक्षक द्वारा चार नाबालिग छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया जा रहा था।
कांगड़ा के विधानसभा क्षेत्र जवाली के एक सरकारी स्कूल के टीचर पर छात्राओं से का आरोप लगा था। वह पढ़ाई के समय छात्राओं से अश्लील हरकतें करता था तथा छेड़छाड़ करने के बाद उनको डराया भी करता था।
ऐसे ना जाने कितने और मामले प्रदेश के कोने-कोने से सामने आ रहे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग को इन मामलों में कड़ा संज्ञान लेना चाहिए।