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November 9, 2024

हिमाचल : स्कूल में छात्रा से नीचता करना पड़ा महंगा, अंंग्रेजी का टीचर हुआ सस्पेंड

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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के सरकारी स्कूल में अंग्रेजी के प्रवक्ता पर शिक्षा विभाग की कार्रवाई की गाज गिरी है। शिक्षा विभाग ने स्कूल की 11वीं कक्षा की छात्रा के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में शिक्षक को सस्पेंड कर दिया है।

अंग्रेजी का प्रवक्ता हुआ सस्पेंड

शिक्षा विभाग ने केंद्रीय सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम(1) के तहत आरोपी शिक्षक को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। अब शिक्षक का मुख्यालय उपनिदेशक उच्च शिक्षा कार्यालय चंबा रहेगा। ह भी पढ़ें : हिमाचल : नाले में मिली गन शॉप से चोरी हुई बंदूकें, पति-पत्नी समेत 3 अरेस्ट

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि बीती 7 नवंबर को शिमला के सुन्नी थाने में शिक्षक के खिलाफ स्कूल के प्रधानाचार्य ने शिकायत दर्ज करवाई थी। स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने वाले एक प्रवक्ता पर 11वीं कक्षा की छात्रा के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगे हैं।

स्कूल में छात्रा के साथ नीचता

शिक्षक पर आरोप है कि उसने छात्रा के साथ छेड़खानी की है और उसे अश्लील तरीके से छुआ है।  प्रधानाचार्य ने बताया कि बीती 26 अक्टूबर को स्कूली छात्राओं ने स्कूल प्रबंधन को आरोपित शिक्षक की शिकायत दी थी। जिसके आधार पर स्कूल की सेक्सूअल हरासमेंट कमेटी ने अपने स्तर पर मामले की जांच की। यह भी पढ़ें : हिमाचल: युवक ने कमरे में उठाया खौफनाक कदम, 24 साल थी उम्र

शिक्षक ने अश्लील तरीके से छुआ

जांच में पाया गया कि घटना के बाद छात्रा सहमी सी रहने लगी थी। एक दिन उसने पूरी बात अपनी सहपाठियों को बताई- कि अंंग्रेजी पढ़ाने वाले प्रवक्ता ने उसे क्लास में गंदे तरीके से छुआ है और उसके साथ छेड़खानी की है। पीड़िता की सहपाठियों ने शिक्षक की शिकायत प्रधानाचार्य से की। फिर प्रधानाचार्य ने सुन्नी थाने में आरोपित शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। वहीं, अब शिक्षा विभाग ने आरोपी शिक्षक को सस्पेंड कर दिया है।

स्कूल में सुरक्षित हैं लड़कियां?

विदित रहे कि, हिमाचल की राजधानी शिमला से पहले भी स्कूल परिसर में छात्राओं के साथ छेड़खानी होने के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे मामलों से बच्चों के अभिभावक बेहद परेशान हैं। लोगों का कहना है कि स्कूलों में ऐसी घटनाएं ना केवल बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, बल्कि शिक्षा संस्थानों की प्रतिष्ठा को भी प्रभावित करती हैं। यह मामला ना केवल शिक्षा के क्षेत्र में चिंता पैदा करता है, बल्कि समाज में सुरक्षा और जागरूकता की आवश्यकता को भी उजागर करता है।

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