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December 6, 2024

हिमाचल की देव परंपरा और कानून के बीच टकराव, जानें क्या है मामला

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मंडी। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में सार्वजनिक रूप से पशु बलि पर पूर्णत: प्रतिबंध है। बावजूद इसके प्रदेश के जिला मंडी से एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक स्थान पर कथित पशु बलि का मामला सामने आया है। इस घटना को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है।

दो बकरों की दी गई बलि!

जानकारी के अनुसार, देव समाज से जुड़े इस धार्मिक कार्यक्रम में कथित तौर पर दो बकरों की बलि दी गई। यह कार्यक्रम 5 दिसंबर को गोहर उपमंडल के मुख्य बाजार चैलचौक में आयोजित किया गया था, जिसमें क्षेत्र के सैकड़ों लोग मौजूद थे। यह मामला उस समय सामने आया जब एक NGO के अक्षयक्ष ने इसकी शिकायत पुलिस थाना में दी। यह भी पढ़ें : हिमाचल : फोटो फ्रेम बता कूरियर से भेज रहा था चरस, पुलिस ने किया गिरफ्तार

NGO के अक्षयक्ष ने इसकी शिकायत

राइट फाउंडेशन नाम के एक गैर-सरकारी संगठन के अध्यक्ष सुरेश कुमार ने इस घटना को लेकर गोहर पुलिस को शिकायत दी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पशु क्रूरता अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है और बलि की यह घटना चैलचौक बाजार के सीसीटीवी कैमरों में कैद हो सकती है।

पुलिस ने दर्ज किया मामला

उधर, मामले की पुष्टि करते हुए SP मंडी साक्षी वर्मा ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम (धारा 11) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह भी पढ़ें : CM सुक्खू ने फिर बुलाई कैबिनेट बैठक, जानें कब होगी और क्या रहेंगे मुद्दे साथ ही घटना की जांच के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस गहनता के साथ मामले की जांच कर रही है और कानून के तहत उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

2014 से हाईकोर्ट ने लगाया है प्रतिबंध

विदित हो, हिमाचल प्रदेश में 2014 में हाईकोर्ट ने धार्मिक अनुष्ठानों में सार्वजनिक स्थानों पर पशु बलि पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले के बाद देव समाज के कुछ लोगों ने परंपराओं का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि धार्मिक अनुष्ठानों के तहत चारदीवारी के भीतर बलि की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर यह प्रथा अब भी प्रतिबंधित है। यह भी पढ़ें : हिमाचल के कारोबारी ने इन्वेस्टमेंट के नाम पर ठगे 50 करोड़, खुद हुआ फरार

लोग जता रहे चिंता

बहरहाल, चैलचौक में हुई इस घटना को लेकर स्थानीय लोग और संगठन चिंता जता रहे हैं। यह घटना एक बार फिर राज्य में पशु बलि पर प्रतिबंध और परंपराओं के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। लोगों द्वारा इसे पशु क्रूरता अधिनियम का उल्लंघन बताया जा रहा है।

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