सिरमौर। हिमाचल प्रदेश में नशे का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। सूबे के कई लोग नशा तस्करी के इस काले कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। हालांकि, हिमाचल पुलिस द्वारा इन नशा तस्करों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाला जा रहा है। ताजा मामला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला से सामने आया है।
नशे की बड़ी खेप बरामद
महिला पुलिस थाने की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर नशे की बड़ी खेप के साथ आरोपी को गिरफ्तार किया है। पुलिस टीम ने आरोपी से चिट्टे और नशीले केप्सूल की खेप बरामद की है।
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मजदूरों को बेचता था चिट्टा
आरोपी की पहचान विनोद कुमार उर्फ छोटा के रूप में हुई है- जो कि कालाअंब में रहता है। बताया जा रहा है कि विनोद कालाअंब में आसपास के क्षेत्रों में स्थित फैक्ट्री के मजदूरों को चिट्टा और नशीले केप्सूल बेचने का धंधा करता है।
खेप के साथ आरोपी गिरफ्तार
जानकारी के अनुसार, पुलिस को विनोद के इस धंधे के बारे में गुप्त सूचना मिली थी। इसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी के कब्जे से 63.4 ग्राम चिट्टा और 720 नशीले केप्सूल बरामद किए हैं। साथ ही मौके पर आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है।
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पुलिस टीम ने आरोपी के खिलाफ NDPS के तहत मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। फिलहाल, पुलिस टीम द्वारा मामले की गहनता से जांच की जा रही है।
सूबे में बढ़ रहा नशे का प्रचलन
विदित रहे कि, हिमाचल प्रदेश में नशे का प्रचलन एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, जिससे राज्य के युवा और समाज के अन्य वर्ग प्रभावित हो रहे हैं। हाल के वर्षों में हिमाचल में विशेष रूप से चरस, अफीम, हेरोइन और सिंथेटिक ड्रग्स (जैसे चिट्टा) का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। इसका मुख्य कारण राज्य की भौगोलिक स्थिति, पड़ोसी राज्यों और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से निकटता माना जा सकता है, जो इसे ड्रग्स की तस्करी के लिए एक आदर्श मार्ग बनाता है।
नशे की लत के पीछे ड्रग माफिया और तस्करों द्वारा युवाओं को सस्ती दरों पर ड्रग्स उपलब्ध कराना भी इस समस्या को बढ़ावा देता है। सरकार और पुलिस द्वारा नशा माफिया पर लगाम कसने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें छापेमारी, तस्करों की गिरफ्तारी और ड्रग्स की सप्लाई चेन को तोड़ना शामिल है। इसके साथ ही नशा मुक्ति केंद्रों का भी विस्तार किया जा रहा है ताकि नशे की गिरफ्त में आए लोगों का पुनर्वास किया जा सके।
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समस्या से निपटने के लिए सामाजिक जागरूकता, शिक्षा, परिवार और समुदाय की भागीदारी, और कड़े कानून लागू करने की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखने के लिए खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम और रोजगार के अवसर प्रदान करना भी एक प्रभावी उपाय हो सकता है।