बैजनाथ (कांगड़ा)। हिमाचल में आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं, जिसमें कई लोगों की कीमती जानें जा रही हैं। इस सड़क हादसों में कई घरों के चिराग बुझ रहे हैं। तो कई घरों के कमाने वाले इस दुनिया को छोड़ जा रहे हैं। जिससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट रहा है। ऐसा ही एक मामला हिमाचल के कांगड़ा जिला से सामने आया है। यहां एक रेहड़ी फड़ी लगाकर अपने परिवार को पालने वाले शख्स की सड़क हादसे में मौत हो गई है।
कार की चपेट में आने से शख्स की मौत
हादसे में नगर पंचायत बैजनाथ के तहत आते पपरोला के वार्ड नंबर चार निवासी कालीदास पुत्र बिशन दास की कार की चपेट में आने से मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि कालीदास बस अड्डे के बाहर फड़ी लगाकर परिवार का पालन पोषण करता था। कालीदास की मौत से अब उसके परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है।
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बाजार में फड़ी लगाकर पालता था परिवार
दरअसल कालीदास सोमवार सुबह रोज की तरह अपनी फड़ी लगाने के लिए बाजार गया था। जब कालीदास बैजनाथ के मुख्य बाजार में अपनी फड़ी पर मौजूद था। उसी बीच जोगेंद्रनगर की तरफ से एक कार आई और उसके बुरी तरह से कुचल दिया। इस हादसे में कालीदास गंभीर रूप् से घायल हो गया। जिसे तुरंत ही सिविल अस्पताल बैजनाथ पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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पुलिस कर रही मामले की जांच
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर आगामी जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने कार चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। वहीं पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है। एसडीएम बैजनाथ दुनी चंद ठाकुर ने बताया कि मृतक के परिजनों को राहत राशि दी जा रही है।
पत्नी बोली थी शाम को जल्दी घर आ जाना
बताया जा रहा है कि सोमवार सुबह जब कालीदास अपने काम पर जा रहा था, तो उसकी पत्नी ने उसे रात को जल्दी घर आने को कहा था। लेकिन उसे क्या पता था कि घर से निकला कालीदास अब कभी जिंदा वापस नहीं लौटेगा। दोपहर बाद ही पत्नी को कालीदास की मौत की खबर मिल गई। जिसे सुन कर उसे गहरा सदमा लगा है।
परिवार को सताने लगी रोटी की चिंता
बताया जा रहा है कि कालीदास बैजनाथ मुख्य बाजार के बाहर फड़ी लगाकर बीज और सब्जियों की पनीरी बेचता था, जिससे उसका और उसके परिवार का पालन पोषण होता था, लेकिन कालीदास की मौत ने अब उसके परिवार को आर्थिक संकट में डाल दिया है। कालीदास की मौत से अब उसकी पत्नी के सामने परिवार को पालने की चिंता सताने लगी है।
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सदमें में पूरा परिवार
कालीदास का एक बेटा और बेटी भी हैं। बेटी की शादी हो चुकी है, जबकि बेटा अभी कुंवारा है। जो मेहनत मजदूरी कर अपने पिता का हाथ मजबूत करता था, लेकिन उसे क्या पता था कि अब घर की सारी जिम्मेदारी ही उसके अपने कंधों पर आने वाली है। कालीदास की मौत ने पूरे परिवार को सदमें में डाल दिया है।