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November 12, 2024

बाबा बालकनाथ मंदिर बकरा नीलामी मामला- सस्पेंड हुआ जूनियर असिस्टेंट

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हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में स्थित बाबा बालकनाथ मंदिर दियोटसिद्ध में बकरों की नीलामी में कथित गड़बड़ी के मामले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। SDM बड़सर और BBN मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ने कनिष्ठ सहायक मनोज कुमार को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है। माना जा रहा है कि निष्पक्ष जांच को सुनिश्चित करने के लिए ये कदम उठाया गया है।

निलंबन के बाद मुख्यालय भेजे गए

बता दें कि कनिष्ठ सहायक मनोज कुमार को निलंबन के बाद अब मंदिर कमीशनर कार्यालय में तैनात किया गया है। उनके मुख्यालय की यात्रा के लिए SDM बड़सर ने आदेश दिए हैं कि वह बिना अनुमति के मुख्यालय नहीं छोड़ सकते। इसके अलावा, उनका मूल वेतन भी आधा कर दिया गया है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : तिरंगे में लिपटे पति को देख पत्नी बेसुध, मां ने सोचा नहीं था ऐसे लौटेगा लाल

जांच के लिए तहसीलदार बड़सर नियुक्त

वहीं, इस मामले की जांच को लेकर तहसीलदार बड़सर धर्मपाल नेगी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। वह इस घोटाले की तह तक पहुंचने के लिए विस्तृत जांच करेंगे और रिपोर्ट तैयार करेंगे। SDM बड़सर, राजेंद्र गौतम ने कहा कि मनोज कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई विचाराधीन है और जांच के बाद यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि निलंबन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जांच प्रभावित न हो। यह भी पढ़ें : हिमाचल : नर्सिंग छात्रा की सहेलियां खोलेंगी राज, सब अलग-अलग दे रहीं बयान

क्या है पूरा मामला

बता दें कि बाबा बालकनाथ मंदिर दियोटसिद्ध में हाल ही में हुई बकरों की नीलामी को लेकर आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि नीलामी बिना सक्षम अधिकारी की मौजूदगी के की गई, जिससे प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई। हालांकि, एक अहम सवाल यह उठ रहा है कि 60 हजार में 35 बकरों की नीलामी करने पर गड़बड़ी कैसे हुई? इसे लेकर जांच शुरू की गई है, और तहसीलदार बड़सर धर्मपाल नेगी को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है।

मंदिर में बकरों की पूजा और नीलामी की परंपरा

बाबा बालकनाथ मंदिर दियोटसिद्ध में श्रद्धालुओं द्वारा छोटे-छोटे मेमने और बकरों को चढ़ाया जाता है, जो मंदिर प्रशासन के पास कुछ समय तक रहते हैं। चूंकि इन बकरों को ज्यादा दिनों तक रख पाना संभव नहीं होता, इसलिए इन्हें नीलाम कर दिया जाता है। यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है और इसके लिए एक निर्धारित कमेटी बनाई गई है, जो नियमित आधार पर इन बकरों की नीलामी करती है। यह भी पढ़ें : हिमाचल : पाई-पाई जोड़कर बनाया था जो मकान, उसी ने छीन लिए बुजुर्ग के प्राण

नीलामी में क्या हुआ था?

अब सवाल यह है कि नीलामी कमेटी की कार्रवाई में 'खोट' कहां निकला है? क्या नीलामी के दौरान कोई चूक हुई थी या फिर सारी प्रक्रिया सही तरीके से संपन्न हुई थी? मंदिर प्रशासन और आरोपियों की ओर से इस मामले में कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू कर दी है।

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