शिमला। हिमाचल की राजधानी और पहाड़ों की रानी कहे जाने वाले शिमला में जल संकट पैदा हो गया है। लोगांे को चार दिन बाद भी पीने का पानी नहीं मिल रहा है। एक तरफ भयंकर गर्मी और दूसरी तरफ जल संकट ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है।
रह रह कर अब लोग सुक्खू सरकार के व्यवस्था परिवर्तन को कोस रहे हैं। शिमला शहर के कई क्षेत्रों में लोगों को चार दिन बाद भी पानी नहीं मिल रहा है। शिमला शहर के मौजूदा हालातों को देख कर लोगांे को अब साल 2018 का वह मंजर याद आने लगा है, जब लोग पानी की एक एक बूंद के लिए मोहताज हो गए थे।
सुक्खू सरकार भी नहीं बुझा पाई शिमला शहर की प्यास
राजधानी शिमला में जल संकट कोई नई बात नहीं है। यहां हर साल गर्मियों मंे लोगों को जल संकट से जूझना पड़ता है। इस बार जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी तो सीएम सुक्खू ने व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया। लोगों ने उम्मीद जताई कि इस बार शिमला में जल संकट नहीं आएगा। लेकिन कांग्रेस के राज में जल संकट और ज्यादा बढ़ गया। ऐसे में अब लोग सुक्खू के व्यवस्था परिवर्तन के नारे को कोस रहे हैं।
बढ़ती गर्मी ने बढ़ाया जल संकट
हिमाचल प्रदेश सहित शिमला में बढ़ती गर्मी के चलते यह जलसंकट छाया है। शिमला शहर में पानी की सप्लाई करने वाली परियोजना में अब पानी सूखने लगा है। जिसके चलते ही शहर में भयानक जल संकट छा गया है।
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शिमला शहर में कहीं चार तो कहीं पांच दिन बाद पानी की सप्लाई आ रही है। शिमला के मिडल बाजार में भी कई दुकानों में चार दिनों से पानी नहीं आया है। मालरोड पर भी पानी की समस्या बनी हुई है।
चार से पांच दिन बाद भी नहीं आ रही पानी की सप्लाई
यही हाल शिमला के उपनगरों का भी है। यहां लोगों का पांच दिन बाद भी पानी का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। शहर के लोअर पंथाघाटी, घोड़ा चौकी, चक्कर, संजौली और ढली के कई क्षेत्रों चार से पांच दिन बाद पानी की सप्लाई आ रही है। पानी की इतनी किल्लत हो गई है, कि लोगों को पीने के लिए बोतल बंद पानी खरीदना पड़ रहा है।
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शिमला शहर की 40 एमएलडी से बुझती है प्यास
बता दें कि शिमला शहर की प्यास बुझाने के लिए 40 एमएलडी पानी की जरूरत होती है। लेकिन प्राकृतिक स्त्रोतों के सूखने से शिमला शहर को अब 30 एमएलडी पानी भी नहीं मिल रहा है। जिससे शहर में जल संकट गहराया हुआ है।
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गिरी परियोजना का गिरा जलस्तर
शहर को पानी देने वाली मुख्य परियोजनाओं गिरी व गुम्मा में पानी की सप्लाई बहुत कम हो गई है। गिरी परियोजनाओं से जहां 18 एमएलडी तक पानी शहर को मिलता था, वहीं अब इस परियोजना से 06 से भी कम एमएलडी पानी की सप्लाई आ रही है।
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टैंकरो से दिया जा रहा पानी
शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान ने बताया कि लंबे वक्त से बारिश न होने की वजह से प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं। शिमला में अभी प्राकृतिक जल स्रोतों से ही लिफ्ट किया जाता है। ऐसे में बारिश न होने की वजह से परेशानी हो रही हैण् उन्होंने बताया कि जिन इलाकों में पानी नहीं आ रहाए वहां नगर निगम शिमला वॉटर टैंकर के माध्यम से पानी उपलब्ध करवा रहा है।