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August 6, 2024

बादल फटने पर नहीं जाती इतनी जानें, किसी ने नहीं किया था नियमों का पालन

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शिमला। हिमाचल में पिछले बुधवार की रात को आई प्राकृतिक आपदा ने भारी तबाही मचाई। प्रदेश के तीन जिला कुल्लू, मंडी और शिमला में बादल फटने के बाद कई लोगों की मौत हो गई तो कई लोग लापता हो गए। हिमाचल में बुधवार की रात को आई बाढ़ में बहे और लापता लोगों को बचाया जा सकता था, अगर सुक्खू सरकार ने अपने ही बनाए हुए नियमों को सख्ती से लागू किया होता। सुक्खू सरकार के एक मंत्री ने भी इस गलती को मान लिया है और कहा है कि अगर नियमों को सख्ती से लागू किया होता तो आज जानमाल का इतना नुकसान नहीं होता।

लगातार दूसरे साल हिमाचल में आई तबाही

बता दें कि हिमाचल में इस बार मानसून सीजन के शुरू होने के बाद से अब तक 117 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 47 लोग अभी भी लापता है। इसी तरह की तबाही बीते वर्ष भी आई थी। उस दौरान मानसून के शुरू होते ही हिमाचल में जलप्रलय आ गई थी और सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। वहीं हजारों मकान धराशायी हो गए थे। यह भी पढ़ें: सुक्खू सरकार के खोदे गड्ढे में जाएगा केंद्र का बजट: कंगना रनौत उस दौरान प्रदेश की सुक्खू सरकार ने आपदा को ध्यान में रखते हुए कुछ नियम भी बनाए थे, लेकिन उन्हें सख्ती से लागू नहीं किया गया। जिसके चलते ही इस बार फिर उसी तरह की जल प्रलय में कई लोगों की मौत हो गई।

टीसीपी और साडा नियमों का नहीं हुआ सख्ती से पालन

दरअसल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने बीते साल 2022 में आई जल प्रलय से सबक लेते हुए प्रदेश में टीसीपी और साडा के नियमों को सख्ती से लागू करने की बात कही थी। यह भी पढ़ें: कंगना की आंखों में आ गए आंसू: प्रभावितों को गले से लगाकर दिया हौसला ताकि भविष्य में किसी तरह का नुकसान ना हो। बीते रोज लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि आपदा में हुए भारी नुकसान का सीधा मतलब है कि प्रदेश में टीसीपी और साडा के नियमों का उल्लंघन किया गया है।

नदी नालों के पास घर बनाने के सख्त किए थे नियम

मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि बीते साल आपदा के दौरान खड्डों और नालों के समीप घर न बनाने के नियम सख्त किए गए थे। नियमों में दस मीटर दूरी का प्रावधान किया गया था। ताकि भविष्य में किसी भी तरह का नुकसान न हो। लेकिन बादल फटने की ताजा घटना के बाद हुए नुकसान का जायजा लेते समय यह साफ हो गया है कि इन नियमों का उल्लंघन किया गया है। यह भी पढ़ें: आपदा के जख्म: घर के 50 फीट नीचे दबी मिली महिला, 75 साल थी उम्र विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले को लेकर टीसीपीए साडा और राजस्व विभाग की रिपोर्ट मांगी है। इसके आधार पर आगामी फैसला लिया जाएगा।

क्या हैं साडा और टीसीपी के नियम

साडा और टीसीपी के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में घरों को बनाने से पहले मलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। सबसे पहले घरों से निकलने वाले गंदे पानी की व्यवस्थ, जलापुर्ति, स्ट्रीट लाईट सीवरेज? सार्वजनिक पार्क, स्कूल अस्पताल सामुदायिक केंद्र के अलावा अन्य चीजों का ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा नदी नालांे से 10 मीटर के दायरे में घर ना बनाने का भी नियम है। हालांकि टीसीपी के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग अलग नियम हैं।

पीडब्ल्यूडी को हुआ 300 करोड़ का नुकसान

मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि 82 सडक़ें पूरे प्रदेश में ठप हैं। इनमें से 38 सडक़ों को जल्द बहाल कर लेने की संभावना है। जबकि अन्य के लिए विभाग मजबूती से प्रयास करेगा। यह भी पढ़ें: 40 हजार की दवा फ्री में देगी सुक्खू सरकार: 42 दवाओं का नहीं लगेगा पैसा उन्होंने बताया कि अभी तक पूरे प्रदेश में पीडब्ल्यूडी को 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। उन्होंने कहा कि बादल फटने की घटना के बाद प्रदेश के तीन जिलों में बड़ा नुकसान हुआ है। इनमें पद्धर में अभी भी सडक़ें बाधित हैं।

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