बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए कांग्रेस की सरकार कई कदम उठा रही है। लेकिन धरातल पर स्थिति क्या है, इसका उदाहरण बिलासपुर जिला के एक सरकारी स्कूल में दिख रहा है। यहां एक शिक्षक के सहारे पूरा स्कूल चल रहा है। यह एक शिक्षक पहली से पांचवी कक्षा के बच्चों को भी पढ़ाता है और कार्यालय का काम भी देखता है।
पांच कक्षाओं के 21 छात्रों को पढ़ा रहा एक शिक्षक
हम बात कर रहे हैं बिलासपुर जिला के शिक्षा खंड श्रीनयनादेवी के तहत आते राजकीय प्राथमिक पाठशाला अपर दबट की। इस स्कूल में पहली से पांचवी कक्षा तक 21 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। लेकिन इन 21 छात्रों को पढ़ाने के लिए स्कूल में मात्र एक शिक्षक है। परेशान होकर अब विद्यार्थियों के अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना ही बंद कर दिया है।
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अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजना किया बंद
अभिभावक पिछले चार दिन से अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि जब तक स्कूल में दो स्थायी शिक्षकों की तैनाती नहीं की जाती, वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। बड़ी बात यह है कि 12 दिसंबर को बच्चों का असेस्मेंट का पेपर भी था, लेकिन फिर भी अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा और असेस्मेट का पेपर नहीं दिलवाया।
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शिक्षा के साथ कार्यालय का काम भी संभाल रहा एक शिक्षक
मिली जानकारी के अनुसार प्राथमिक पाठशाला दबट में पहली से पांचवी कक्षा तक 21 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। इन 21 विद्याार्थियेां के लिए शिक्षा विभाग ने मात्र एक ही शिक्षक तैनात किया है। यही एक शिक्षक पहली से पांचवी तक की कक्षाओं को पढ़ाता है और साथ ही कार्यालय का काम भी देखता है।
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बीते शुक्रवार को बच्चों के साथ अभिभावक भी स्कूल आए थे, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल में दो स्थायी शिक्षकों की तैनाती की बात कर बच्चों के साथ लेकर वापस लौट गए।
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अभिभावकों ने दी यह चेतावनी
अभिभावकों ने चेतावनी दी है कि अगर शिक्षा विभाग जल्द ही इस स्कूल में दो शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति नहीं करता है तो मजबूरन वह अपने बच्चों को स्कूल से निकलवा लेंगे। अब बच्चों के स्कूल ना आने से जहां छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं सुक्खू सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों मंे गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के दावों की भी पोल खुलती हुई नजर आ रही है।
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शिक्षक ने घर घर जाकर अभिभावकों से किया आग्रह
इस स्कूल में तैनात एक मात्र शिक्षक नसीब सिंह ने कहा कि पिछले चार दिन से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। शिक्षक ने बताया कि हमने घर घर जाकर अभिभावकों से बच्चों को स्कूल भेजने का आग्रह भी किया, ताकि उनकी पढ़ाई बाधित ना हो, लेकिन फिर भी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं हुए।
क्या कहती है एसएमसी
इस बारे में जब एसएमसी की प्रधान किरण देवी व सदस्यों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि स्कूल में पहले दो शिक्षक तैनात थे। करीब छह माह पहले इस स्कूल से एक शिक्षक को किसी दूसरे स्कूल में भेज दिया गया। तब से यह स्कूल अब एक ही शिक्षक के सहारे चल रहा है। जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
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उन्होंने बताया कि एसएमसी ने इस संबंध में शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को कई बार अवगत करवाया, लेकिन आज तक इस स्कूल में दूसरा शिक्षक तैनात नहीं किया। जिसके चलते अब अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना ही बंद कर दिया है।
क्या बोली खंड शिक्षा अधिकारी
वहीं इस बारे में श्री नयनादेवी की खंड शिक्षा अधिकारी चंद्रकांता ने बताया कि इस मामले में केंद्रीय शिक्षक को आदेश जारी कर दिए गए हैं कि केंद्र पाठशाला से प्रतिनियुक्ति पर अध्यापक भेजा जाए और समस्या का शीघ्र समाधान किया जाए। उन्होंने दबट स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों से अपील की है कि वह अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें, ताकि उनकी पढ़ाई बाधित ना हो।