कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में जुलाई 2023 में आई जलप्रलय में कई पुल बह गए थे। जिसमें से कई पुल आज तक नहीं बने हैं। कुल्लू जिला की सैंज घाटी में पिन पार्वती नदी पर बना पुल भी जुलाई 2023 की जल प्रलय में बह गया था। ग्रामीणों के बाद बार आग्रह के बाद भी सरकार और प्रशासन ने जब यह पुल नहीं बनाया तो ग्रामीणों ने मिल कर इस नदी पर एक अस्थायी पुल का निर्माण कर दिया।
सरकार और प्रशासन ने नहीं सुनी फरियाद
ग्रामीणों ने इस पुल को बनाने के लिए कई बार विक्रमादित्य सिंह, उनके विभाग और सरकार के समक्ष यह मामला उठाया, लेकिन किसी ने ग्रामीणों की नहीं सुनी। जब सैंज तहसील की देहुरीधार पंचायत के दरमेडा, जयालू, रोपा, नुनुर बहली और सतेश गांव के फरियाद लगाते लगाते थक गए तो ग्रामीणों ने इस पुल का खुद ही निर्माण करने की ठानी।
झूला पुल से पार करनी पड़ती थी नदी
दरअसल इस पुल के बह जाने से कई गांवों के 40 परिवारों को नदी पार करने में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही थी। लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर झूला पुल से आवाजाही करनी पड़ रही थी। इसी बीच कुछ दिन पहले गांव में एक बेटी की शादी थी, लेकिन नदी पर पुल ना होने से ग्रामीणों को बारात के गांव तक लाने की चिंता सताने लगी।
बेटी की शादी से पहले ग्रामीणों ने मिलकर तैयार किया पुल
सरकार और प्रशासन से कोई मदद ना मिलने पर ग्रामीणों ने श्रमदान कर पहले तीन पिलर तैयार किए और उस पर लकड़ी के तख्ते डाल कर अस्थायी पुल तैयार कर दिया। जिससे बेटी की शादी के लिए इस पुल से होकर बारात आराम से गांव तक आ सकी। ये पूरा काम गांव के लोगों ने बिना किसी सरकारी अनुदान के किया। इस पुल को बनाने के लिए गांव के 15 लोगों को 10 दिन का समय लगा।
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प्रशासन से सिर्फ आश्वासन ही मिला
ग्रामीण दुर्गा दास, चमन लाल, कमल सिंह, मोती राम, दिनेश कुमार, वीर सिंह, ज्ञान चंद, फता राम, गंगा राम और ओम दत ने बताया कि पुल की मांग को लेकर वे जनप्रतिनिधियों से लगातार गुहार लगाते रहें, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। लोकसभा चुनाव के वक्त भी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी, कार्यकर्ता उनके पास पहुंचे थे। उनसे भी इस पुल को बनाने की फरियाद लगाई गई, लेकिन सभी ने सिर्फ आश्वासन ही दिया।
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बिटिया की बारात के लिए बनाया पुल
ग्रामीाणों ने बताया कि बीते सप्ताह नुनुर बहली गांव में चमन लाल की पुत्री भावना की बारात बंजार के बंदल गांव से आनी थी। एक तार पर बने झूले से पूरी बारात का आना असंभव था। जिसके चलते ग्रामीणों ने एकजुटता दिखा कर नदी पर पुल बनाने की ठानी और 10 दिन तक काम कर 15 लोगों ने पुल बनाकर तैयार कर दिया।
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नदी पार करना है मजबूरी
पिन पार्वती नदी के दाएं तरफ बसे इन गांव में स्कूल, अस्पताल, सड़क जैसी कोई भी मुलभूत सुविधा नही है। इसके लिए ग्रामीणों को नदी पार कर बाएं किनारे पर बनी सड़क तक आना पड़ता है। पांच किमी की दूरी तक कोई भी पुल न होने से लोग भारी परेशानी झेल रहे हैं। नदी को पार करना लोगों की मजबूरी है।
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क्या बोले एडीएम कुल्लू अश्वनी कुमार
देहुरीधार पंचायत के प्रधान भगत राम आजाद ने बताया कि पंचायत की ओर से पांच बार जिला प्रशासन को प्राक्कलन बनाकर भेजे जा चुके हैं। कई बार प्रतिनिधिमंडल डीसी से मिल चुका है, लेकिन पुलों के निर्माण के लिए मात्र कोरे आश्वासन ही मिले। वहीं एडीएम कुल्लू अश्वनी कुमार ने बताया कि जिला भर में दर्जनों पुल बाढ़ की भेंट चढे हैं। प्रशासन सिलसिलेवार इन पुलों का पुननिर्माण कर रहा है। पंचायतों की ओर से सैंज घाटी के पुलों के प्राकलन भी मिले हैं। जल्द उन्हें बनाने की योजना चल रही है।