कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में बिजली महादेव रोपवे को वन संरक्षण अधिनियम के तहत पहले चरण की अनुमति मिल गई है। FCA के अनुमति के साथ ही रोपवे बनने का रास्ता भी साफ हो गया है। बता दें कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रोपवे का निर्माण किया जा रहा है। वहीं, स्थानीय द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। 283 करोड़ की लागत से ये रोपवे बनकर तैयार होगा।
ये कंपनी करेगी निर्माण
बता दें कि इस रोपवे का निर्माण नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड करेगी. कुल्लू जिला के खराहल घाटी में स्थित बिजली महादेव के मंदिर तक इस रोपवे के निर्माण के बाद पर्यटकों को मंदिर परिसर तक पहुंचने में ट्रैफिक की समस्या नहीं झेलनी पड़ेगी।
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2.33 किलोमीटर होगी लंबाई
रोपवे ब्यास नदी के किनारे नेचर पार्क मौहल के साथ ही बनाया जाना है। जिसकी लंबाई 2.33 किलोमीटर होगी। बता दें कि अभी बिजली महादेव के दर्शन करने के लिए 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। इस रोपवे के बनने से 36 हजार पर्यटक एक दिन में बिजली महादेव के दर्शन कर सकेंगे।
प्रधानमंत्री का सपना
इस रोपवे के निर्माण के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 नवंबर 2017 को वह कुल्लू में हुई एक जनसभा से जिक्र किया था। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिजली महादेव का दौरा तब किया गया था, जब वह प्रदेश भाजपा के प्रभारी थे।
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इसके बाद 5 मार्च 2024 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वर्चुअल हमीरपुर से रोपवे का भूमि पूजन किया गया था। लेकिन यहां के स्थानीय लोगों ने इसका जमकर विरोध किया ।
क्यों हो रहा रोपवे का विरोध?
रोपवे के निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों का तर्क है कि इसके बन जाने से स्थानीय लोगों का रोजगार खत्म हो जाएगा। सड़क मार्ग पर बनी दुकानें, ढाबे, होटल, रेस्तरां का काम ठप पड़ जाएगा।
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वहीं, रोपवे के लिए पेड़ों का भी कटान किया जा रहा है उसके विरोध में भी ग्रामीण खड़े हो गए हैं। वहीं, कई लोग इसे देवास्था से भी जोड़ रहे है। हाल ही में यहां के ग्रामीणों ने जमकर केंद्र की सरकार और प्रदेश सरकार को कोसा था।