शिमला। हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी शिमला का आज खुद अपना ही स्वास्थ्य बिगड़ता हुआ नजर आ रहा है। आईजीएमसी शिमला के 500 से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी आज काम बंद कर हड़ताल पर चले गए हैं। जिससे आईजीएमसी में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई हैं।
इन कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से जहां एक तरफ मरीजों को दिन भर भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है, वहीं आईजीएमसी में सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई है।
132 कर्मियों को नौकरी से निकालने के विरोध में हड़ताल
दरअसल आईजीएमसी प्रशासन ने आउटसोर्स पर भर्ती 132 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इन 132 कर्मचारियों को सुपरवाइजर के माध्यम से पहली जनवरी को नोटिस जारी कर उनकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश दिए गए। जिसके विरोध में इन आउटसोर्स कर्मचारियों ने आज हड़ताल करने का फैसला लिया था।
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आईजीएमसी प्रशासन के इस फैसले से आईजीएमसी के अन्य कर्मचारी भी भड़क गए और उन्होंने भी नौकरी से निकाले 132 कर्मचारियों के साथ हड़ताल करने का निर्णय लिया था।
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500 कर्मचारी कर रहे हड़ताल
आज शुक्रवार को 500 से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। इन आउटसोर्स कर्मचारियों की हड़ताल में अब मजदूर संगठन सीटू भी शामिल हो गया है। यह कर्मचारी आईजीएमसी प्रशासन और सुक्खू सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर नारेबाजी कर रहे हैं।
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आईजीएमसी का बिगड़ गया अपना स्वास्थ्य
आईजीएमसी प्रशासन द्वारा हटाए गए आउटसोर्स कर्मचारियों में वार्ड-अटेंडेंट, सुरक्षा कर्मी, ओटीटी स्टॉफ शामिल है। एक साथ इतने कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से अब आईजीएमसी शिमला का अपना स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ है। आईजीएमसी शिमला में जगह जगह गंदगी देखने को मिल रही है। वहीं मरीजों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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आईजीएमसी में भरने लगी गंदगी
माना जा रहा है कि अगर हड़ताल पर गए कर्मचारी वापस काम पर नहीं लौटते हैं तो आईजीएमसी में ऑपरेशन तक टालने पड़ सकते हैं, क्योंकि ऑपरेशन थियेटरों में भी गंदगी भरने लगी है। बता दें कि आईजीएमसी में पहले ही 151 डॉक्टर एक माह की छुट्टी पर चले गए हैं। अब आउटसोर्स कर्मचारियों की हड़ताल से आईजीएमसी में सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं।
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क्या बोले हड़ताली
हड़ताल पर गए आउटसोर्स कर्मी आईजीएमसी प्रशासन की और सरकार के रवैये से खासे नाराज हैं। सफाई कर्मचारी यूनियन की उपाध्यक्ष निशा ने बताया कि सुपरवाइजर के माध्यम से 132 कर्मचारियों को पहली जनवरी को नौकरी से निकालने का फरमान जारी कर दिया गया। प्रशासन ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि इतने सालों से यहां काम कर रहे यह कर्मचारी अब अपना घर कैसे चलाएंगे।