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August 18, 2024

हिमाचल: बंजार के जंगल में का.ट दिए 400 हरे पेड़, भाजपा MLA का खुलासा

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कुल्लू। हिमाचल सरकार प्रदेश में पौधारोपण के लिए कई अभियान चला रही है। जिसमें अधिक से अधिक पेड़ लगा कर पर्यावरण संरक्षण करने की बातें की जाती हैं। लेकिन दूसरी तरफ प्रदेश की इस वन संपदा को कुछ लोग मिटाने में लगे हुए हैं। हिमाचल के कुल्लू जिला से एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बंजार के भाजपा विधायक सुरेंद्र शौरी ने जंगल में जाकर वहां हो रही हरे पेड़ों की अवैध कटाई का सच सबके सामने पेश किया है।

भाजपा विधायक की ग्राउंड रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

भाजपा विधायक की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जंगल में सुखे, रोगग्रस्त और उखड़े हुए पेड़ों की आड़ में 400 हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई गई है। जिसकी गवाही दिमांचरी के एक गोदाम में पड़े 10 हजार से भी अधिक स्लीपर दे रहे हैं। दिमांचरी के गौदाम में 400 से अधिक हरे पेड़ों के स्लीपर पड़े हुए हैं। भाजपा विधायक ने इस अवैध कटान के पीछे कुछ बड़े अधिकारियों की मिलीभगत के भी आरोप लगाए हैं। यह भी पढ़ें: समारोह के लिए हिमाचल आया था परिवार, जवान बेटे की देह के साथ लौटा वापस

किसके इशारे पर काटे गए इतने अधिक पेड़

अब सवाल यह उठता है कि जब सुक्खू सरकार ने हिमाचल को 2025 तक देश का पहला हरित राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है तो फिर कुल्लू जिला में इतने बड़े स्तर पर हरे पेड़ों को किसके इशारे पर काटा गया है। इस अवैध कटान पर भाजपा के पूर्व मंत्री और भााजपा प्रदेश उपाध्यक्ष गोविंद सिंह ठाकुर ने भी सरकार पर हमला किया है। गोविंद ठाकुर ने तो इस मामले में सीधे सीधे सुक्खू सरकार पर आरोप लगाए हैं।

किसने कहा सुक्खू सरकार के सरंक्षण में वन माफिया 

गोविंद ठाकुर का आरोप है कि हिमाचल में सुक्खू सरकार के कार्यकाल में वन माफिया ही नहीं बल्कि शराब माफिया,नशा माफिया बेखौफ होकर कार्य कर रहे हैं। इन माफियाओं को सरकार का संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण ये अवैध गतिविधियां बेखौफ होकर कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश की कांग्रेस सरकार से इस मामले में तुरंत और सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह भी पढ़ें: प्रो-कबड्डी में खेलेगा हिमाचल का बेटा: बंगाल वॉरियर्स ने इतने लाख में खरीदा

पेड़ कटान से क्या हो रहा नुकसान

हिमाचल में विकास के नाम पर हर साल लाखों पेड़ों को काटा जा रहा है। पेड़ काटने से जहां पहाड़ खोखले हो रहे हैं, वहीं इसका पर्यावरण पर भी असामान्य प्रभाव पड़ रहा है। हिमाचल में पेड़ काटने से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है। यही नहीं पेड़ों के कटान से मिट्टी की पकड़ कमजोर हो रही है, जिसका ही नतीजा है कि प्रदेश में हर मानसून सीजन में भारी भूस्खलन हो रहे हैं। पेड़ कटान से जल चक्र में बदलाव होता है और हिमाचल में जलप्रलय जैसी आपदा आनी शुरू हो गई है। यह भी पढ़ें: क्या मंत्री मांगेंगे माफ़ी? हर्षवर्धन चौहान को किसने भेजा कानूनी नोटिस- जानें

पेड़ काटने के क्या हैं नियम

हिमाचल में जंगलों को काटने के सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं। जिसके अनुसार जंगलों से केवल सूखे हुए पेड़, रोगग्रस्त पेड़ ही काटे जा सकते हैं। इसके अलावा जो पेड़ उखड़ गए हैं, उन पेड़ों को काटने का प्रावधान है। इसी तरह से अपनी निजी भूमि पर भी पेड़ कटान के नियम तय किए गए हैं। बीते वर्ष सुक्खू सरकार ने ही 19 में से छह प्रजातियों के पेड़ों को काटने पर पूर्ण रोक लगा दी थी। जिसमें आम, बान, पाजा,तूणी, रीठा और त्रियांबल किस्में शामिल हैं। यह भी पढ़ें : वाह री शिमला पुलिस! बेकसुर परिवार को ही बना दिया चोर, थाने ले जाकर की धुनाई

हिमाचल के पास कितनी है वन संपदा

हिमाचल के पास आज के समय में कुल 3.12 करोड़ की वन सम्पदा है। लेकिन अब यह वन संपदा वन माफिया के चलते कम होती जा रही है। वन माफिया लगातार अवैध कटान कर रहे हैं। जिसका एक उदाहरण कुल्लू के बंजार के जंगल में देखने को मिला है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि इतने बड़े स्तर पर अवैध कटान की जानकारी गार्ड, वन विभाग या सरकार को क्यों नहीं है।

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