शिमला। हिमाचल प्रदेश की आर्थिक हालत बिगड़ती ही चली जा रही है। प्रदेश के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल के पास अपने कर्मचारियों को ओपीएस और एरियर देने के लिए भी पैसा नहीं बचा है। इस सब के बीच प्रदेश के सरकारी स्कूलों में तैनात 21 हजार मिड डे मील कर्मचारी अभी तक अपनी सैलरी का इंतज़ार कर रहे हैं।
आज 25 तारीख है- फिर भी नहीं आई सैलरी
जी हां, जून महीने की आज 25 तारीख है लेकिन इन कर्मचारियों मार्च महीने के बाद से मानदेय ही नहीं मिला है। जिस कारण से उन्हें अपना घरखर्च चलाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इस बारे में बात करते हुए MDM कर्मियों ने बताया कि एक तो उन्हें पहले ही कम तनख्वाह दी जाती है और अब उसमें भी देरी हो रही है।
4 हजार तनख्वाह- वो भी सिर्फ 10 महीने मिलती है
मिड डे मील कर्मचारियों की दुर्दशा का आलम कुछ ऐसा हो गया है कि एक तो उन्हें 4 हजार रुपए की मामूली तनख्वाह दी जाती है। साथ ही 12 महीने के बजाय सिर्फ 10 महीने की सैलरी उन्हें दी जाती है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें नियमित किया जाए और उनके साथ भेदभाव ना हो।
विभाग ने कहा केंद्र से नहीं आया पैसा
वहीं, जब MDM कर्मचारियों ने वेतन मिलने में हो रही देरी का कारण अधिकारियों से पूछा तो उन्हें बताया गया कि प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से का पैसा जारी कर दिया है, लेकिन केंद्र की तरफ से उसके हिस्से का पैसा ना आने के कारण वो वेतन नहीं रिलीज कर पा रहे हैं।
प्रदेश का खजाना खाली पड़ा है
हिमाचल पहुंचे 16वें वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के समक्ष मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल की आर्थिक स्थिति का खुलासा करते हुए कहा है कि हिमाचल पर इस समय 85 हजार करोड़ का कर्ज है। हिमाचल सरकार को कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों को देने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है।