चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला से संबंध रखने वाले सुनील कुमार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने सम्मानित किया। शिक्षक दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में चंबा के शिक्षक को ये सम्मान मिला है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2024 पाने वाले सुनील राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खरगट सिंहुता में लेक्चरर केमिस्ट्री के तौर पर सेवारत हैं।
शिक्षा क्षेत्र में बेहरीन योगदान
बता दें कि शिक्षक सुनील कुमार के अपने स्कूल कई छात्र राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीत चुके हैं। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिलने पर सीएम सुक्खू ने भी सुनील कुमार को बधाई दी है।
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संघर्षों से भरा है सुनील का जीवन
आपको बता दें कि सुनील दिव्यांग हैं। जीवन में कठिनाइयों के बाद भी सुनील ने कभी हार नहीं मानी। जब वे आठ माह के थे तो उन्हें पोलियो का टीका ठीक नहीं बैठा। जिसके कारण उनकी टांगों में समस्या आ गई। लेकिन सुनील कुमार ने जीवन में कभी हार नहीं मानी और उन्होंने कभी अपनी शारीरिक कमी को मानसिक कमी नहीं बनने दिया।
बता दें कि सुनील कुमार का विज्ञान विषय में काफी रुचि रही। उनका बतौर TGT मेडिकल शिक्षक के रूप में चयन हुआ। जिसके बाद साल 2016 में उनकी पदोन्नति हुई और वह केमिस्ट्री के प्रवक्ता बने। तभी से ही वे बच्चों को विज्ञान विषय से संबंधित कई प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करते हैं।
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इस लिए मिला सम्मान
सुनील ने अब तक के अपने कार्यकाल में 65 विद्यार्थियों को राज्य स्तरीय विज्ञान प्रतियोगिताओं और 10 छात्रों को राष्ट्रीय स्पर्धा तक पहुंचाया है। साथ ही उनका एक छात्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा हैं। यहां तक पहुंचने के लिए सुनील ने बच्चों को कैसे तैयार किया ये भी जान लीजिए।
छात्रों की इन तैयारियों के लिए सुनील कुमार ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में भी बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाते थे। ताकि बच्चे पढ़ाई से ना भटके। वहीं, सुनील कुमार ने यू-ट्यूब चैनल भी बनाया, जिसपर वे अपने लैक्चर की वीडियो डाला करते हैं। इससे भी बच्चों को काफी मदद मिलती है।
चंबा से तीन शिक्षक पा चुके हैं ये सम्मान
चंबा जिला के सुनील तीसरे ऐसे शिक्षक हैं- जिन्हें ये सम्मान मिलने जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में सुनील के अलावा दो शिक्षकों को भी राष्ट्र्रीय अवॉर्ड मिल चुका है। जिसमें विकास महाजन और युद्धवीर टंडन का नाम शामिल है। पिछले साल भी प्रदेश के एक ही शिक्षक, कांगड़ा से विजय कुमार को यह पुरस्कार मिला था।