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July 14, 2024

भेड़ पालक पिता का बेटा बना असिस्टेंट प्रोफेसर : गरीबी में संघर्ष से चमकाया नाम

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चंबा/धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा के भटियात क्षेत्र में इस समय हर्ष और उल्लास का माहौल है। यहां भटियात के गांव भौंट के रहने वाले डॉ भरत सिंह का चयन धर्मशाला स्थित हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में बतौर सहायक प्रोफेसर के रूप में हुआ है। विकट परिस्थितियों में भी अपनी यह उपलब्धि हासिल करके भरत सिंह ने क्षेत्र का नाम तो रोशन किया ही है, साथ में भावी पीढ़ी के लिए भी आदर्श बन गए हैं।

गांव के प्राइमरी स्कूल से विश्वविद्यालय तक का सफ़र

प्राइमरी स्कूल भौंट से पांचवी तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद भरत सिंह ने बारहवीं की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सिहुंता से उत्तीर्ण की थी। यह भी पढ़ें: सड़क किनारे खड़ा था ट्रक- उसी में जा घुसा बाइक सवार: थम गईं सांसें इसके बाद स्नातक व स्नातकोत्तर के आगे की पढ़ाई केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला से पूर्ण करने के बाद भरत ने अपनी पीएचडी की उपाधि गद्दी समुदाय के लोक साहित्य आधारित विषय पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय से 2023 में हासिल की थी।

पढ़ाई के दौरान हुआ था माता का निधन

भरत सिंह के लिए परिस्थितियां सदैव से ही बहुत कठिन रही थीं। उनके पिता कुंजलाल एक भेड़पालक हैं और उनकी माता सुनीता देवी का देहांत पहले ही हो गया था। दुर्गम जगह जन्मे भरत को शुरुआत से पढ़ाई करने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। यह भी पढ़ें: श्रीखंड यात्रा पर गया एक ओर श्रद्धालु स्वर्ग सिधारा, अब तक चार की गई जान पढ़ने के लिए भरत अपने गांव से 10 से 12 किलोमीटर का रास्ता तय करके स्कूल जाया करते थे। कई बार तो उन्हें समय से खाना भी नसीब नहीं होता था। लेकिन किसी भी प्रकार के अभाव पर ध्यान ना देते हुए भरत ने अपनी पढ़ाई पर अपना ध्यान केन्द्रित रखा और यह मुकाम हासिल किया।

23 से अधिक शोध हुए हैं प्रकाशित

डॉ भरत के अब तक 23 से अधिक शोध आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही गद्दी जनजातीय के लोकगीत व नुआला पर आधारित उनकी 2 किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं, गत वर्ष इनकी किताबों का विमोचन हिमाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल के कर कमलों द्वारा हुआ था। वर्त्तमान में डॉ भरत कांगड़ा स्थित डीएवी महाविद्यालय में बतौर सहायक आचार्य अपनी सेवाएं दे रहे थे। यह भी पढ़ें: 17 साल की लड़की ने दिया बच्ची को जन्म, भगा कर ले गया था युवक

परिजन और अध्यापकों को जाता है श्रेय

इस उपलब्धि का श्रेय अपने परिजनों और गुरुजनों को देते हुए भरत ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा में भी अध्यापकों और अभिभावकों के मार्गदर्शन में पढ़ाई के साथ अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु उनकी कड़ी मेहनत ही आज उनकी इस सफलता का मूल आधार बनी है।

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