शिमला। कहते हैं कि सपने देखना तो हर तो कोई देखता है, लेकिन उन सपनों को पूरा करने का साहस हर किसी के पास नहीं होता है। कुछ लोगों के अंदर बचपन से ही आसमां छूने का जुनून होता है। हालांकि, यह सफर आसान नहीं होता है।
हिमाचल प्रदेश की पहली महिला कर्नल
आज हम आपको हिमाचल प्रदेश की एक ऐसी बेटी के बारे में बताएंगे- जिसने घर की कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने सफलता का लोहा मनवाया। हिमाचल की यह बेटी अब प्रदेश की पहली महिला कर्नल बन गई है।
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हम बात कर रहे हैं कर्नल सपना राणा की- जो कि भारतीय सेना में बटालियन की कमान संभालने वाली हिमाचल प्रदेश की पहली बन गई हैं। सपना की कहानी जानकर आप भी उनके हौंसले और जज्बे को सलाम करेंगे।
महिलाओं के लिए थी बंदिशें
दरअसल, 1980 के दशक में सपना का जन्म हिमाचल के एक ऐसे गांव में हुआ था- जहां समाज की बंदिशें अक्सर महिलाओं के कदम रोक लिया करती थीं। इस गांव की महिलाओं की जिंदगी बस घर के कामों तक ही थी। पुशओं को चराना, उनके लिए चारा काटना, भैंस का दूध निकालना, घर पर खाना बनाना और बाकी सब घर के काम करना।
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सपना ने बनाया अलग रास्ता
गांव की बाकी लड़कियों की तरह सपना ने भी सब काम किया। मगर इन्हीं चुनौतियों के बीच सपना ने अपने लिए एक अलग रास्ता बनाया। उन्होंने कभी भी अपने लक्ष्य के साथ समझौता नहीं किया। जब सपना की उम्र की बच्चे खेलने-कूदने और मौज-मस्ती में अपना वक्त बिताते थे। तब सपना अपने करियर की प्लानिंग करती थी।
छोटे से गांव से निकली बाहर
सपना के पिता स्कूल में टीचर थे और उनकी माता गृहिणी हैं। सपना के दो भाई भी हैं। किसी भी मामले में सपना उनसे कम नहीं थी। पढ़ाई से लेकर हर चीज में सपना अपने भाइयों से आगे रहती थी। यही वजह थी कि दसवीं कक्षा के बाद सपना के माता-पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए सपना को छोटे से गांव से बाहर सोलन भेज दिया।
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पैसों की तंगी का किया सामना
इंटरमीडिएट के बाद सपना ने सोलन में सरकारी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने MBA करने के लिए हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। सपना UPSC की तैयारी करना चाहती थी। यहां सपना ने अपने लक्ष्य और आर्थिक दिक्कतों के बीच बैलेंस बनाया और पढ़ाई में कड़ी मेहनत की।
सपना के जुनून ने आखिरकार सपना को उनकी मंजिल तक पहुंचा दिया। हिमाचल प्रदेश के छोटे से गांव से निकली यह बेटी आज भारतीय सेना में कमांडिंग ऑफिसर है। सपना नॉर्थ-ईस्ट में आर्मी सर्विस कोर (ASC) बटालियन की कमान संभाल रही हैं।
एक बेटी की मां है सपना
सपना ने UPSC की तैयारी के दौरान जॉइंट डिफेंस सर्विस का एग्जाम दिया। साल 2003 में सपना चेन्नई में ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी में सेलेक्ट हो गईं। साल 2004 में सपना राणा को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर नियुक्त किया गया। सपना राणा के पति भी भारतीय सेना में हैं और उनकी एक बेटी भी है।
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पैदल चलकर जाती थी कॉलेज
सपना की मां कृष्णा ठाकुर का कहना है कि गांव के माहौल को देखते हुए हमने कभी यह नहीं सोचा था कि सपना इस तरह बाहर निकल कर कामयाब होगी। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह भारतीय सेना में जाएंगी।
उन्होंने बताया कि सोलन में रहते हुए सपना खुद अपना खाना बनाती थी। इतना ही नहीं पैसे बचाने के लिए वह पैदल चलकर कॉलेज जाया करती थी। फिर जब छुट्टियों में सपना घर आती थी तो वह वो सारे काम करती थी- जो बाकी लड़कियां किया करती थी।