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May 27, 2025

हिमाचल के तरलोक चौहान होंगे झारखंड के चीफ जस्टिस, पहले भी निभा चुके हैं बड़ी जिम्मेदारी

दो बार हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं चौहान

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justice tarlok singh

शिमला। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान को झारखंड हाईकोर्ट का नया मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कर दी है। सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसमें मध्यप्रदेश, पटना, दिल्ली सहित अन्य हाईकोर्ट्स में भी नई तैनातियों की सिफारिश हुई है। चौहान हिमाचल हाईकोर्ट में दो बार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की भूमिका निभा चुके हैं।

बिशप कॉटन से शुरू हुआ न्याय की ओर सफर

9 जनवरी 1964 को शिमला के रोहड़ू में जन्मे जस्टिस चौहान ने प्रारंभिक शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल शिमला से पाई। यहीं वे स्कूल कैप्टन भी बने। डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से ऑनर्स के साथ स्नातक और पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल कर 1989 में वकालत शुरू की। वरिष्ठ अधिवक्ता लाला छबील दास के चैंबर से कानूनी दुनिया में कदम रखा।

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हर क्षेत्र में दिखाई विशेषज्ञता

जस्टिस चौहान ने हिमाचल हाईकोर्ट में विभिन्न विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, शैक्षणिक संस्थानों और सहकारी समितियों के लिए कानूनी सलाहकार की भूमिका निभाई। वे लोक अदालतों के सदस्य भी रहे और कई बार कोर्ट मित्र (Amicus Curiae) के रूप में भी नामित किए गएविशेष रूप से हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, प्लास्टिक प्रतिबंध, पर्यावरण संरक्षण, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और सड़क निर्माण नीति जैसे अहम मामलों में सहयोग दिया है।

झारखंड के अलावा इन चार राज्यों में भी चीफ जस्टिस की तैनाती की सिफारिश

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2014 में हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बनाए गए तरलोक चौहान ने जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष रहते बाल आश्रमों, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों और वृद्धाश्रमों की दशा सुधारने में अग्रणी भूमिका निभाई। वे 2019 में रोमानिया में बच्चों की सुरक्षा सेवाओं पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेने वाले पहले हिमाचली न्यायाधीश रहे।

न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष भी रहे

2018 से 2020 तक हिमाचल प्रदेश न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में न्यायिक प्रशिक्षण को दिशा दी। हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों में कंप्यूटरीकरण को आगे बढ़ाने का श्रेय भी उन्हें जाता है, क्योंकि वे हाईकोर्ट की ई-कोर्ट और कंप्यूटर कमेटी के प्रमुख रहे हैं। यही नहीं, वे नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी शिमला की कार्यकारी परिषद के सदस्य भी हैं।

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