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October 2, 2024

HRTC ने पूरा किया 50 साल का सफर: जानिए कैसे शुरू हुई थी सेवा

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शिमला। हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) प्रदेश की लाइफ लाइन कही जाती है। आज HRTC का स्थापना दिवस है। वर्ष 1974 से शुरू हुए इस सफर के 50 साल पूरे हो गए है। 50 साल पूरे होने पर बस अड्डों को दुल्हन की तरह सजाया गया है। प्रदेश में पिछले कल ही उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने एचआरटीसी के मुख्यालय में पहुंचकर वॉल ऑफ ऑनर का अनावरण किया जो इस निगम के ऐतिहासिक सफर को दर्शाता है।

HRTC का इतिहास

बता दें कि निगम की स्थापना संयुक्त रूप से 1958 में की गई। उस समय पंजाब सरकार, हिमाचल सरकार और रेलवे ने इसे शुरू किया था। फिर 2 अक्टूबर 1974 को निगम का हिमाचल सरकार परिवहन में विलय कर दिया गया और इसका नाम बदलकर हिमाचल सड़क परिवहन निगम कर दिया गया।

3300 बसों का बेड़ा

HRTC के पास 3300 बसों का बेड़ा है जो राज्य के भीतर और बाहर लगभग 3700 मार्गों पर चलती हैं और इसने अपनी बसों को 5 श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। कभी ऐसा भी जमाना था जब HRTC की मात्र 2-3 बसे ही सेवाएं देती थी। यह भी पढ़ें : हिमाचल : वित्तीय अनुशासन पर सख्त एक्शन की तैयारी, अफसरों पर गिर सकती है गाज!
  • हिमसुता- वोल्वो बसें और स्कैनिया एबी बसें
  • हिमगौरव- इसुजु और डीलक्स एसी बसें
  • हिमानी- अशोक लीलैंड डीलक्स (नॉन-एसी) बसें
  • हिम तरंग- (इलेक्ट्रिक बसें)
  • हिम धारा-(एसी-ऑर्डिनरी 3×2) अशोक लेलैंड
  • साधारण और मिनी/स्थानीय सिटी बसें टाटा मार्कोपोलो , अशोक लीलैंड
HRTC भारत में सभी प्रकार की बसों के लिए टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा प्रदान करने वाली पहली आरटीसी में से एक है। यह भी पढ़ें : हिमाचल- चारा लाने जंगल गया था बुजुर्ग, भालू ने पीछे से किया अटैक, फिर..

सामाजिक दायित्व का निर्वहन

वहीं, इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री का कहना है कि HRTC ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद प्रदेश के लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि HRTC घाटे में चल रहा है, लेकिन इसे केवल घाटे के नजरिए से नहीं देखना चाहिए। उन्होंने बताया कि रोजाना 50 लाख रुपए का रियायती सफर इसके माध्यम से करवाया जा रहा है, जिसमें 27 श्रेणियों को लाभ मिल रहा है। यह भी पढ़ें : शिमला से डगशाई जेल तक -10 बार शिमला आए थे महात्मा गांधी, यहां जानें अनसुने किस्से

वित्तीय सहायता की आवश्यकता

उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि एचआरटीसी को हर महीने सरकार से 60 से 65 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है, जो सामाजिक दायित्वों की पूर्ति के लिए मांगी जाती है। उन्होंने कहा कि 94 फीसदी घाटे के रूटों पर भी बसें चलाई जा रही हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों को सुविधा मिल सके।

घाटे के कारण

1. यात्रियों को रियायती सफर। 2. घाटे पर चल रहे रूट। 3. कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन का भुगतान। यह भी पढ़ें : दादा, पिता व चाचा ने भी दी सेना में सेवाएं, अब रणजीत बने लेफ्टिनेंट जनरल

नई गाड़ियों की खरीद

उपमुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि निगम अपनी गाड़ी संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहा है। पहले एचआरटीसी का फ्लीट 1800 से 2000 बसों का था, लेकिन अब इसकी संख्या बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं और वोल्वो के 24 बसों के नए ऑर्डर भी दिए गए हैं। इसके अलावा, नए टैम्पो ट्रैवलर भी खरीदे जाएंगे, जिन्हें जनजातीय क्षेत्रों में चलाने की योजना है।

न्यूनतम किराया और राज्य की स्थिति

बता दें कि हिमाचल प्रदेश एकमात्र राज्य है, जहां यात्रियों से न्यूनतम पांच रुपए किराया लिया जा रहा है, जबकि अन्य राज्यों में यह किराया बढ़ाया गया है। इससे एचआरटीसी की आमदनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह भी पढ़ें : हिमाचल में अब न्यूनतम दिहाड़ी 400 रुपए, एक किल्क में जानिए पूरी डिटेल

भविष्य की योजनाएं

उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने बताया कि एचआरटीसी सभी जिलों में अपने पुराने मॉडल का प्रदर्शन करेगा और बताएगा कि किस तरह से निगम का सफर आगे बढ़ा है। इस प्रकार, एचआरटीसी न केवल प्रदेश के परिवहन को सुगम बनाने में लगा है, बल्कि सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी कर रहा है। इस स्थापना दिवस पर HRTC के 50 साल के सफर को सेलिब्रेट करना न केवल निगम के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। आने वाले समय में एचआरटीसी के विकास और विस्तार की संभावनाएं उज्ज्वल हैं, जो कि प्रदेश के लोगों के लिए बेहतर परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराने में सहायक होंगी।

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