मंडी। हिमाचल प्रदेश के होनहार प्रदेश व देश का नाम रोशन करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। अब हिमाचल के मंडी जिला में रहने वाली एक दिव्यांग बेटी अंजली ने देश का नाम रोशन कर दिया है। दिव्यांग होने के बावजूद अपनी हिम्मत और होंसले के बूते पर अंजली ने मिस्त्र में आयोजित टूर्नामेंट में पुर्तगाल को पराजित कर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता है। अंजली ने यह उपलब्धि हासिल करके पूरे प्रदेश का सर गर्व से ऊंचा किया है।
किसान की बेटी है स्वर्ण पदक विजेता अंजली
दरअसल मिस्त्र में 18 जुलाई से वर्ल्ड बोशिया चैंपियनशिप के टूर्नामेंट चल रहे थे। जहां भारत की तरफ से अंजली ने भी हिस्सा लिया और स्वर्ण पदक जीता है।
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अंजली मंडी जिले के मौवीसेरी के तहत आने वाले जनयाणी डोगरी गांव की रहने वाली है। अंजली के पिता ढमेश्वर ठाकुर एक किसान हैं।
10 साल पहले सड़क दुर्घटना ने बनाया था विकलांग
तकरीबन दस साल पहले बासा कॉलेज में फाइनल इयर की पढ़ाई के दौरान अंजली एक सड़क दुर्घटना का शिकार हुई थी। इस दुर्घटना में अंजली गंभीर रूप से घायल हुई थी। जिसके बाद उसके शरीर के कंधे के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया।
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लेकिन अंजली ने हिम्मत नहीं हारी और गले के पास की मूवमेंट के लिए बोशिया संस्था से जुड़ गई। इसी संस्था की सहायता से अंजली ने दिल्ली में दो स्वर्ण पदक जीते और उसके बाद चीन में हुई प्रतियोगिता में भी अपनी प्रतिभा का हुनर दिखाया।
चीन में हुआ था चैंपियनशिप के लिए अंजली का चयन
चीन में अंजली द्वारा दिखाई गई प्रतिभा के आधार पर उसका चयन वर्ल्ड बोशिया चैंपियनशिप के लिए हुआ। जिसके बाद मिस्त्र में अपने हुनर का लोहा मनवाते हुए पुर्तगाल को हराकर अंजली ने स्वर्ण पदक हासिल किया।