#उपलब्धि

June 22, 2025

हिमाचल : पिता ने घराट चलाकर पाला परिवार, कई बार भूख तक सोए- अब डॉक्टर बनेगा बेटा

मामा ने गोपाल के सपनों को दिए पंख, उठाया पढ़ाई का खर्च

शेयर करें:

Gopal

सिरमौर। कहते हैं कि अगर हौसलों में जान हो तो, पहाड़ भी रास्ता दे देते हैं, संघर्षों की तपिश से तपकर, सपने भी सच हो जाते हैं। इन्हीं शब्दों को बखूबी चरितार्थ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के सुदूरवर्ती गांव मानल-दोछी के युवा गोपाल उर्फ शुभू ने।

पहले प्रयास में NEET किया क्वालीफाई

गोपाल ने यह साबित कर दिया है कि सच्ची मेहनत और अटूट लगन के सामने किसी भी संसाधन की कमी आड़े नहीं आती। गोपाल ने मेडिकल क्षेत्र की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक NEET को अपने पहले ही प्रयास में पास कर पूरे क्षेत्र और अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया है।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में पांच दिन पहले मानसून की एंट्री, कई जिलों पर मंडरा रहा खतरा; नदी-नालों से रहें दूर

घराट चलाते हैं गोपाल के पिता

गोपाल के पिता कान सिंह एक पारंपरिक घराट (पनचक्की) चलाते हैं, जो साल में कुछ ही महीनों तक काम करता है। यह घराट गांव के पास जबड़ोग खाले में स्थित है, जो केवल बरसात या पानी अधिक होने पर अनाज पीसने के काम आता है। बाकी समय में परिवार को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता है। मां तारा देवी बताती हैं कि उनके पास खेती लायक ज़मीन भी बहुत कम है, लेकिन बेटे की पढ़ाई के लिए उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी।

आसान नहीं था गोपाल का सफर

गोपाल का यह सफर आसान नहीं था। गोपाल ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में पूरी की। मगर वहां विज्ञान संकाय ना होने के कारण उसने मजबूरी में आर्ट्स विषय लेकर +1 में दाखिला लिया। मगर डॉक्टर बनने का सपना उसके भीतर जिंदा रहा।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : जिंदगी की जंग लड़ रहे रोहित, परिवार की जेब खाली- कल PGI में है सर्जरी; मदद को बढ़ाएं हाथ

मामा ने उठाया पढ़ाई का खर्च

यह सपना एक नई उड़ान तब भर सका जब उसके मामा राजेश, जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, ने आगे की पढ़ाई का जिम्मा उठाया। मामा के सहयोग से गोपाल ने नाहन के शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विज्ञान विषय लेकर पढ़ाई जारी रखी।

संघर्ष सुन रो पड़ेंगे आप

गोपाल की इस मेहनत और संघर्ष से भरी सफलता ने न केवल उसके माता-पिता की आंखों में गर्व के आंसू ला दिए, बल्कि पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ा दी है। ग्रामीणों का कहना है कि गोपाल की सफलता अब यहां के बच्चों के लिए एक प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी है। गांव और स्कूल स्तर पर उसे सम्मानित करने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : माता-पिता को बेसहारा कर गई लाडली, नोट में लिखा- मैं नहीं बन पाई अच्छी बेटी

डॉक्टर बनना चाहता है गोपाल

अब गोपाल MBBS की पढ़ाई करना चाहता है, और उसके माता-पिता उसके लिए शिक्षा ऋण लेने की योजना बना रहे हैं। लोगों का कहना है कि गोपाल की यह कहानी बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो पहाड़ों में बसे छोटे-छोटे गांवों से भी डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक निकल सकते हैं। बस जरूरत है — एक चिंगारी, जो अंधेरे में भी रोशनी दिखा सके।

पेज पर वापस जाने के लिए यहां क्लिक करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख