ऊना। किसी ने क्या खूब लिखा है कि सपनों का सफर आसान नहीं, राहों में कांटे, गुलों की पहचान नहीं। पर मेहनत के दम से जीता जहां, अब किसी भी चुनौती की परवाह नहीं। इन शब्दों को बखूबी चरितार्थ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के होनहार बेटे शुभम राणा ने।
इंडियन कोस्ट गार्ड में शुभम का चयन
शुभम राणा ने पढ़ाई के दौरान देखे गए सपने को अपनी मेहनत के दम पर सच कर दिखाया है। जिले के बाथू गांव के शुभम का चयन इंडियन कोस्ट गार्ड में असिस्टेंट कमांडेंट के पर पर हुआ है। शुभम की इस सफलता से उनके परिवार व पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
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तीन साल की मेहनत
शुभम का जन्म साल 2000 में हुआ था। 24 वर्षीय शुभम ने तीन साल कड़ी मेहनत कर अपनी सफलता का परचम लहराया है। शुभम ने यह उपलब्धि हासिल कर ये साबित कर दिखाया है कि मेहनत से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
शुभम राणा ने प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय पुष्प बिहार नई दिल्ली से हासिल की। फिर 12वीं की पढ़ाई सेंट सोल्जर डिवाइन पब्लिक स्कूल नंगल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने लायलपुर खालसा कॉलेज जालंधर से सिविल इंजीनियरिंग में BTech. की।
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पढ़ाई के दौरान बनाया मन
शुभम बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने इंडियन कोस्ट गार्ड में शामिल होने का सपना देखा। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने दिन-रात कड़ी मेहनत की और तीन साल बाद अपना सपना सच कर दिखाया।
CRPF में इंस्पेक्टर हैं पिता
शुभम के पिता कुशल सिंह राणा CRPF में इंस्पेक्टर हैं। शुभम की मां कला देवी गृहिणी हैं। बेटे की इस सफलता से माता-पिता काफी खुश हैं और उनकी आंखें नम हैं। शुभम के पिता का कहना है कि उनके बेटे ने पूरे क्षेत्र में उनका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। उन्हें अपने बेटे पर गर्व है।
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शुभम ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और शिक्षकों को दिया है। शुभम ने अपनी सफलता के बारे में बताते हुए कहा कि सपने देखने का कोई समय नहीं होता और कोई सपना छोटा-बड़ा नहीं होता। कोई भी इंसान कड़ी मेहनत कर बड़े से बड़े मुकाम हासिल कर सकता है।
असिस्टेंट कमांडेंट की भूमिका
आपको बता दें कि सहायक कमांडेंट जूनियर रैंक के अधिकारियों को भी आदेश देता है और राष्ट्र के समुद्री तट की रक्षा के लिए टीम का नेतृत्व करता है। यह नौकरी जुनून और रोमांच से भरी है, तट रक्षक जीवन बचाने, तस्करों और शिकारियों को पकड़ने के लिए जिम्मेदार है।