कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के तहत आते पंचरुखी पुलिस थाना के अंतर्गत कार्यरत 4 कर्मी आग की चपेट में आकर झुलस गए है। बताया जा रहा है कि पुलिस थाना के अंतर्गत पकड़ी गई अवैध शराब को जलाते समय यह हादसा पेश आया। जिसमें 4 पुलिस कर्मी बुरी तरह से झुलस गए।
कुक और कर्मी आग में झुलसे
बताया जा रहा है कि पंचरुखी पुलिस थाना में अवैध शराब को आग के हवाले करने की प्रक्रिया चल रही थी। इस समय पुलिस विभाग का कुक और 3 कर्मी शराब को नष्ट करने का काम कर रहे थे। इसी दौरान आग फैल गई तथा शराब जलाने का कार्य कर रहे कर्मी आग की चपेट में आए।
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टांडा अस्पताल रेफर
घटना के तुरंत बाद पुलिस कर्मियों को नागरिक चिकित्सालय पालमपुर लाया गया। जहां उनका प्राथमिक उपचार किया गया। पुलिस कर्मियों की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें टांडा रेफर कर दिया गया। DSP पालमपुर लोकेंद्र सिंह नेगी ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि कर्मियों को डॉ. राजेंद्र प्रसाद आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं चिकित्सालय टांडा रैफर कर दिया गया है। चारों कर्मी सुरक्षित हैं।
बता दें कि पुलिस द्वारा शराब को जलाकर नष्ट करना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य अवैध शराब या शराब के अधिशेषों को नष्ट करना होता है। इस प्रक्रिया के पीछे कई कारण होते हैं:
उद्देश्य और कारण:
अवैध शराब की नष्ट करना: यदि शराब का निर्माण या बिक्री कानून के खिलाफ है, तो इसे नष्ट कर दिया जाता है ताकि समाज में उसकी आपूर्ति और उपयोग को रोका जा सके।
पब्लिक हेल्थ: अवैध शराब में अक्सर हानिकारक रसायन या अन्य विषैले पदार्थ होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इसे नष्ट करने से लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है।
आर्थिक कारण: अवैध शराब की बिक्री से राजस्व की हानि होती है और यह वैध शराब उद्योग को प्रभावित कर सकती है। नष्ट करके इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रमाणिकता और पारदर्शिता: शराब को जलाकर नष्ट करने की प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाता है कि नष्ट की गई शराब वास्तव में अवैध है और इसका कोई गलत इस्तेमाल नहीं हो सकता।
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प्रक्रिया:
शराब का संग्रह: पहले अवैध शराब को एकत्र किया जाता है और सुरक्षा में रखा जाता है।
शराब की जांच: आवश्यक जांच और प्रमाणिकता की पुष्टि के बाद, शराब को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
शराब का नाश: शराब को जलाया जाता है, जिससे यह पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। इस प्रक्रिया में विशेष सावधानियां बरती जाती हैं ताकि वातावरण और स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।