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January 22, 2025

हिमाचल: घर के पास दहका जंगल, महिला का घुट गया दम, 3 बच्चों को छोड़ गई अकेला

हमीरपुर के जंगलों में आग ने मचाई तबाही

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हमीरपुर। हिमाचल के कीमती जंगल धू धू कर जल रहे हैं। जंगलों की यह आग अब तक कई घरों को भी अपनी चपेट में ले चुकी है। वहीं कई बार जंगलों की इस आग से जानी नुकसान भी हो जाता है। ऐसा ही एक मामला हिमाचल के हमीरपुर जिला से सामने आया है। हमीरपुर के दियोटसिद्व क्षेत्र में जंगल में लगी आग के कारण एक महिला की दम घुटने से मौत हो गई।

धुएं के कारण हुई परेशानी

मृतक महिला की पहचान उर्मिला देवी पत्नी पुरूषोतम के रूप में हुई है। उर्मिला देवी आंगनबाड़ी केंद्र सर्कल चकमोह के मंछेद में बतौर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत थी। महिला के परिजनों ने बताया कि उनके घर के चारों ओर बड़े-बड़े चीड़ के वृक्षों का घना जंगल है।  ऐसे में उनके घर के नजदीक ही जंगल में आग लगी हुई थी। जिससे धुआं उठकर उनके घर की तरफ आ रहा था। जिसके चलते अन्य लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। जंगल में बहुत समय तक आग लगे रहने के कारण घर के चारों ओर धुएं के गुबार बन गया और महिला को सांस लेने में बड़ी दिक्कत हुई।

 

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ले गए अस्पताल मगर

जब महिला की तबीयत बहुत ज्यादा ख़राब हो गई तो वो अपने परिजनों के साथ राधास्वामी सत्संग भवन चकमोह में चली गई। लेकिन वहां भी उनकी तबीयत ठीक नहीं हुई। महिला की हालत ज्यादा खराब होता परिजन उसे बड़सर अस्पताल के लिए ले गए, मगर रास्ते में ही महिला की मौत हो गई।

धुएं के कारण गई जान. परिजन

मृतक महिला एक सामान्य परिवार से संबंध रखती है। उसके तीन बच्चे हैं। जिसमें से एक का विवाह भी हो चुका है। पति मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करता है।  मृतका के पति पुरूषोतम ने जानकारी देते हुए कहा कि जंगल की आग के धुंए से दम घुटने के कारण ही उनकी पत्नी की मौत हुई है। परिजनों ने बताया कि 54 वर्ष की उर्मिला को इससे पहले सांस से संबंधित कोई रोग नहीं था।

 

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जंगल हुए राख, कई परिवार रात को घर छोड़ भागे

जंगलों में लगी आग इतनी भयानक है कि मुख्यालय हमीरपुर के साथ लगते जंगल भी राख में तबदील हो चुके हैं। ऐसे में आग का धुआं शहर के घरों तक भी पहुंच गया है। इतना ही नहीं दियोटसिद्व, चलाड़ा, बुथाण जंगलों की आग का धुआं लोगों के घरों तक पहुंच गया है।  इस कारण ही स्थानीय निवासी अंकुश, महेंद्र, भानचंद के परिवारों ने अपना घर छोड़ कर 500 मीटर दूर बने सामुदायिक भवन में शरण ली थी। रात को धुआं छंटने के बाद ही वो अपने घर को लौट पाए थे।

 

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