बिलासपुर। यह तो हम सभी जानते हैं कि हर माता-पिता को बच्चे का पहला गुरु माना जाता है। माता-पिता के सही मार्गदर्शन मिले तो बच्चा कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के महज 6 साल के मासूम युवान ने। हर कोई युवान के जज्बे और हिम्मत की काफी सराहना कर रहा है।
माउंट एवरेस्ट पर पहुंचा 6 साल का युवान
बिलासपुर के जुखाला के रहने वाले युवान चंद्र ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिसकी शायद ही कोई कल्पना भी कर सकता है। दरअसल, युवान ने दुनिया के सबसे ऊंचे बेस कैंप माउंट एवरेस्ट की फतेह पर तिरंगा फहराया है। युवान की इस सफलता से पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है। हर कोई युवान की खूब सराहना कर रहा है।
11 दिन में पूरी की ट्रैकिंग
युवान ने सफलता अपने पिता सुभाष चंद्र और माता दिव्या भारती के मार्गदर्शन से हासिल की है। युवान ने 8 अप्रैल को अपने परिवार के साथ काठमांडू के माउंटेन फ्लाइट ली और लुक्ला एयरपोर्ट से ट्रैकिंग शुरू की। फिर 11 दिन बाद 135 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद यह ट्रैकिंग खत्म हुई।
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पहली कक्षा में पढ़ता है युवान
युवान पहली कक्षा का छात्र है। युवान अपने माता-पिता के साथ अबू धाबी दुबई में रहता है। युवान के पिता पिछले आठ साल से दुबई में रह रहे हैं। वह वहां एक निजी कंपनी में मेडिकल इंजीनियरिंग मे सीनियर इंजीनियर के पद पर तैनात हैं।
छोटे से गांव से रखता है संबंध
हिमाचल प्रदेश में युवान का घर जिला बिलासपुर के जुखाला क्षेत्र के सायर मुगरानी में है। यहां पर युवान के दादा-दादी और बाकी परिवार के सदस्य रहते हैं। युवान हर साल अपने स्कूल की छुट्टियों में दो महीने यहां रहने आता है।
बिना आराम लिए की 6 महीने तक ट्रेनिंग
माउंट एवरेस्ट पर ट्रैकिंग करने के लिए युवान के पिता ने अपने बटे को 6 महीने की बिना आराम दिए कठिन ट्रेनिंग करवाई। इसके बाद उन्होंने युवान से माउंट एवरेस्ट पर ट्रैकिंग करवाई। ट्रेनिंग के दौरान युवान ने तैराकी, दौड़ना और मार्शल आर्ट भी सीखा। अब युवान अच्छा ट्रैकर होने के साथ-साथ एक अच्छा तैराक, धावक और मार्शल आर्ट का भी माहिर बन रहा है।
दुनिया का सबसे ऊंचा बेस कैंप
माउंट एवरेस्ट बेस कैंप को दुनिया का सबसे ऊंचा बेस कैंप है। इसकी ऊंचाई 17,598 फीट है और यहां का तापमान माइनस 15 डिग्री है। यहां पर ट्रैकिंग करना काफी मुश्किल है। दरअसल, यहां ऑक्सीजन की कमी है।