Wednesday, December 4, 2024
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लाहौल में होगा त्रिकोणीय मुकाबला, मार्कंडेय के उतरने का किसे मिलेगा फायदा

केलांग। हिमाचल प्रदेश में आज कल राजनीतिक सरगर्मियां अपने चरम पर हैं। भाजपा के बाद अब कांग्रेस ने भी राजनीतिक दंगल में अपने पहलवान उतार दिए हैं। वहीं सात मई से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस की मुश्किलें बागी नेता बढ़ाने वाले हैं। ऐसी ही एक सीट हिमाचल की लाहौल स्पीति विधानसभा सीट है। इस सीट पर जयराम सरकार में मंत्री रहे डॉ रामलाल मार्कंडेय ने आजाद चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। जिससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।

मार्कंडेय के चुनावी दंगल में उतरने से हुआ त्रिकोणीय मुकाबला

डॉ रामलाल मार्कंडेय इस समय भाजपा के बागी नेता हैं और जल्द ही वह नाकांकन दर्ज कर आजाद रूप में चुनावी दंगल में दिखेंगे।

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सूत्रों से मिली सूचना के अनुसार डॉक्टर मार्कंडेय ने निर्दलीय ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। डॉ रामलाल मार्कंडेय के भाजपा से विद्रोह करने के बाद निर्दलीय चुनाव के ऐलान से साफ हो गया है कि अब लाहौल.स्पीति में मुकाबला त्रिकोणीय होगा।

मार्कंडेय के चुनावी दंगल में उतरने से किसे होगा फायदा

बता दें कि लाहौल स्पीति से अगर डॉ रामलाल मार्कंडेय चुनाव लड़ते हैं तो इसका सीधा सीधा नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। वहीं भाजपा नेता रवि ठाकुर और डॉ रामलाल मार्कंडेय की इस लड़ाई में कांग्रेस की महिला प्रत्याशी अनुराधा राणा को इसका फायदा मिल सकता है। अब देखना यह है कि लाहौल में होने वाला यह त्रिकोणीय मुकाबला किसके सिर पर जीत का सेहरा बांधता है।

मार्कंडेय जनता और समर्थकों के साथ कर रहे बैठकें

पिछले कुछ समय से ही डॉ मार्कंडेय अपने विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न स्थानों में जाकर लोगों से इस विषय में राय ले रहे थे।

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डॉ रामलाल मार्कंडेय ने लोगों से बातचीत की और उनसे राय ली। यही नहीं उन्होंने अपने समर्थकों से चर्चा करके क्षेत्र का मूड समझने की कोशिश की है। कुल मिलाकर डॉ रामलाल ने अब चुनावी दंगल में कूदने का फैसला कर लिया है।

डॉ मार्कंडेय का राजनीतिक सफर

डॉ. मार्कंडेय ने अपना राजनीतिक सफ़र 1998 में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय पंडित सुखराम के साथ हिमाचल विकास कांग्रेस से जुड़कर शुरू किया था। उसके बाद वो 1998 से 2022 तक हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़े।

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वर्तमान में भाजपा ने मार्कंडेय को छोड़ कांग्रेस के बागी नेता रवि ठाकुर पर अपना दाव खेला है। इसी बात से नाराज होकर डॉ. मार्कंडेय ने कांग्रेस से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, किन्तु इस मामले में कांग्रेस ने भी उनसे किनारा कर लिया। सब दरवाजे बंद हो जाने के बाद ही डॉ रामलाल मार्कंडेय ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।

पांचवीं बार होगा रवि ठाकुर से मुकाबला

वर्ष 2007 में मार्कंड़ेय ने भाजपा का हाथ थाम लिया था। 2012 के चुनावों में कांग्रेस के रवि ठाकुर ने उनको चुनावों में पटखनी दी थी। 2017 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने रवि ठाकुर को हरा दिया था।

लेकिन 2022 में रवि ठाकुर ने डॉ. मार्कंडेय को पराजित करके अपनी हार का बदला ले लिया था। इन दोनों के बीच अब पांचवीं बार मुकाबला होगा, लेकिन इस वार त्रिकोणीय मुकाबला होगा।

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