सोलन। हमारे देश में ट्रांसजेंडर को समाज के साथ रहने में कोई दिक्कत नहीं है। बल्कि समाज को इन लोगों के साथ में समस्या है। ट्रांसजेडर समाज में अपनी अलग पहचान चाहते हैं। इस दिशा में कानूनी तौर पर कामयाबी भी मिली है।
मगर फिर भी समाज में इन लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। ऐसे ही कुछ जीवन संघर्ष हिमाचल की ट्रांसजेंडर माया ठाकुर का रहा है। माया ठाकुर अब हिमाचल प्रदेश राज्य चुनाव आयोग की ट्रांसजेंडर आइकन बन चुकी हैं। माया ठाकुर ने अपने जीवन संघर्षों के बारे में बताया है।
नहीं स्वीकार करता सामाज
माया ने बताया कि वह एक पुरुष के रूप में पैदा हुई थी। मगर उन्होंने अपनी पहचान एक महिला के रूप में की। उन्होंने कहा हम उभयलिंगी हैं ना की किन्नर। हमें सामाज में स्वीकार नहीं किया जाता क्योंकि लोग हमें किन्नर मानते हैं और हमसे दूरी बनाकर रखते हैं।
स्कूल में झेला दुर्व्यवहार
माया ने बताया कि स्कूल में उन्होंने विद्यार्थियों और शिक्षकों की मनमानी झेली है। जब वह घर पर स्कूल में हुए दुर्व्यवहार के बारे में बताती थीं तो उनके परिवार को लगता था कि वह स्कूल छोड़ने का बहाना बना रही हैं।
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उन्होंने बताया कि स्कूल में हो रहे दुर्व्यवहार के कारण वह स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई और उन्हें नौवीं कक्षा के बाद ही स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया। माया ने कहा कि अगर अब उन्हें वापस से शिक्षा शुरू करने का मौका मिले तो वह जरूर आगे पढ़ेंगी।
गांव से निकालने का बनाया दबाव
जिला सोलन स्थित कोठी गांव की रहने वाली माया ने बताया कि स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि ग्रामीणों ने उनके परिवार पर उन्हें बाहर निकालने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। माया ने बताया कि पुलिस ने भी उनके साथ हो रही ज्यादती के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की।
ट्रांसजेंडर के साथ भेदभाव हो खत्म
माया ने बताया कि कई अत्याचार झेलने के बीच के बावजूद शायद वह राज्य में 35 लोगों में से एक ऐसी ट्रांसजेंडर थी, जिसने बोलने का साहस जुटाया। माया ने कहा कि शिक्षा, नौकरियां और ट्रांसजेंडर के खिलाफ भेदभाव खत्म करना हमारे अहम मुद्दे हैं।
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उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत सारे ट्रांसजेंडर हैं जो पढ़ना चाहते हैं। शिक्षक, वकील, पुलिस ऑफिसर बनना चाहते हैं। मगर जब हम लोग नौकरियों के लिए आवेदन करते हैं तो हमें कोई नौकरी नहीं देता है।
अपनी पसंद से जीवन जीने का है अधिकार
माया ने कहा कि हर किसी को अपनी पसंद से जीवन जीने का अधिकार है। ट्रांसजेंडरों के लिए सामाजिक स्वीकार्यता के लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि डरा-धमका कर या गाली देकर पैसा वसूलने की किन्नर संस्कृति बंद होनी चाहिए। साथ ही किन्नरों द्वारा ट्रांसजेंडरों को परेशान करने और ले जाने की प्रथा पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।