चम्बा: देवभूमि हिमाचल प्रदेश में अनगिनत ऐसे मंदिर हैं, जिनका अपना अलग ही महत्व है और वो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए प्रसिद्धि प्राप्त है। आज जिस मंदिर व धार्मिक स्थल की जानकारी साझा की जा रही है, वो अपने आप में एक अलग ही छाप छोड़ने वाली है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में यूं तो अनेकों एतिहासिक मंदिर हैं, लेकिन इन सब में से जिला के डलहौजी में आते माता भलेई के भद्रकाली मंदिर अपनी अद्भुत मान्यताओं के कारण पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है।
बताया जाता है कि, माता के इस मंदिर का निर्माण 1569 ईस्वीं में चंबा के एक राजा प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया था। यह माना जाता है कि, राजा को स्वप्न में माता ने दर्शन देकर कहा था कि मैं एक बावड़ी में हूं। मुझे यहां से ले जाओ। साथ ही मंदिर निर्माण को शिखर शौली में निर्माण करवाने की आज्ञा दी थी। ऐसा माना जाता है कि, तक़रीबन 454 वर्ष पूर्व माता की आज्ञा के चलते राजा प्रताप सिंह ने भलेई में इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
माता की प्रसन्नता का प्रतीक है, प्रतिमा से निकलता पसीना
जिला चम्बा स्थित भलेई में माता भद्रकाली के दरबार में समूचे उत्तर भारत से भक्त अपनी मुराद लेकर आते हैं। माना जाता है कि माता के इस दरबार से कोई भी भक्त निराश होकर नहीं लौटता है। लोगों में मान्यता है कि माता जिस भक्त की भक्ति से प्रसन्न होती हैं तो मंदिर में स्थापित माता की प्रतिमा से पसीना निकलना शुरू हो जाता है। ऐसे में यह माना जाता है कि, उस भक्त की वो तमाम मुरादें पूरी हो जाती हैं जिसे लेकर वो माता के दरबार में आये होते हैं।
300 वर्षों तक महिलाओं के प्रवेश पर थी पाबन्दी
स्थानीय लोगों द्वारा बताया जाता है कि तक़रीबन तीन सौ साल तक इस मंदिर में महिलाओं के जाने के लिए माता की अनुमति नहीं थी। मगर कहा जाता है कि 60 के दशक में दुर्गा नाम की एक महिला को माता ने स्वप्न में आकर दर्शन करने के आदेश दिए। तब से लेकर आज तक माता के द्वार महिलाओं के लिए हमेशा खुले रहते है।
चोरों ने मूर्ती को चुराने के लिए की थी असफल कोशिश, हो गए थे अन्धे
माता की यह प्रतिमा काले रंग की है जो करीब दो फुट ऊंची है। स्थानीय लोगों द्वारा बताया गया कि एक समय चोर माता की इस प्रतिमा को ले भागे और चौहड़ा नामक स्थान पर जब पहुंचे तो उनकी आँखों की रौशनी चली गई। हैरत की बात तो यह थी कि चोर जब आगे बढ़ रहे थे तो उन्हें कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था, लेकिन जब पीछे मुड़कर देखते तो उन्हें सब दिख रहा। इस मंजर से भयभीत होकर चोरों ने प्रतिमा वहीं छोड़ दी और खुद भाग गए। बाद में प्रतिमा को विधिवत तरीके से मंदिर में स्थापित की गई।
बीते कुछ वर्ष पूर्व मंदिर के बाहरी हिस्से को उड़ीसा के कलाकारों द्वारा अद्भुत तरीके से बनाया गया है। यह कलाकारी भक्तों को और ज्यादा आकर्षित करती है।
नोट: उपरोक्त समस्त जानकारी स्थानीय लोगों द्वारा जुटाई गई है। जिसकी प्रमाणिक सत्यता की पुष्टि न्यूज 4 हिमाचल नहीं करता है।