शिमला। कल से मई महीना शुरू होने वाला है। मई माह के आते ही देश सहित हिमाचल प्रदेश में भी बदलाव आएंगे, जो आपकी आर्थिकी से भी संबंध रखते है। सभी बड़े बदलावों में से सबसे महत्वपूर्ण पेट्रोलियम और एलपीजी की कीमतों से जुड़े हुए बदलाव हैं। पेट्रोलियम कंपनियां हर माह कीमतों का निरीक्षण कर कीमतों में फेर बदल करती हैं। इन बदली हुई कीमतों की जानकारी 30 अप्रैल देर रात को जारी की जाती है। ऐसे में आम जनमानस पेट्रोलियम और एलपीजी की कीमतों पर नज़रें गड़ाए हुए हैं।
पेट्रोल डीजल और एलपीजी की कीमतों में होता है बदलाव
बता दें कि हर माह पेट्रोल डीजल और एलपीजी की कीमतों में बदलाव होता है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों हर महीने की शुरुआत के साथ एलपीजी सिलेंडर की कीमत का संशोधन करती हैं और उसके बाद नए रेट जारी किए जाते हैं।
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कंपनी की ओर से 14 किलोग्राम वाले घरेलू सिलेंडर और 19 किलोग्राम के कमर्शियल सिलेंडर की कीमत तय की जाती है। ठीक इस तरह से देश में महीने की पहली तारीख को पीएनजी और सीएनजी की कीमतों को भी अपडेट किया जाता है।
म्युचुअल फंड से जुड़े कुछ बड़े बदलाव
इसी तरह से म्युचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए भी कल से कुछ नियम बदलने वाले हैं। मई माह में म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए एक बड़ा बदलाब देखने को मिल रहा है। 30 अप्रैल 2024 के बाद आपके पैन कार्ड के ऊपर लिखे नाम के साथ आपके आवेदन में दिया गया नाम मैच नहीं होता तो आपका आवेदन निरस्त हो जाएगा।
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आपकी निजी जानकारी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के अनिवार्य केवाईसी नियमों के अनुसार होनी चाहिए। गौर करने योग्य बात है कि ये केवल नियम केवल नए निवेशकों को ही प्रभावित करेगा, जबकि यह पुराने निवेशक पर इसका कोई असर नहीं होगा।
बैंकों से जुड़े कुछ बड़े बदलाव
इसी तरह से बैंकिंग के क्षेत्र में भी कल से कुछ नियमों मंे बदलाव आने की संभावना है। आईसीआईसीआई बैंक के बचतखाता धारकों पर लगने वाले शुल्क में भी परिवर्तन होगा। इसमें डेबिट कार्ड पर लगने वाले 200 रुपये की वार्षिक फीस की राशि भी शामिल है।
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यस बैंक ने भी ज़ाहिर कर दिया है कि एक मई से वो भी बचत खाता सेवाओं पर लगने वाले शुल्कों में बढ़ोतरी करने जा रहा है। बैंक ने खातों में अनिवार्य औसत मासिक शेष राशि होना अनिवार्य करने कि दिशा में कदम बढ़ाया है।
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बैंक ने निवार्य औसत मासिक शेष से कम होने स्थिति में अधिकतम शुल्क को बढ़ने का निर्णय लिया है। अपर्याप्त धनराशि के कारण अब खता धारकों को पहले से अधिक शुल्क देना पड़ेगा।