Tuesday, October 8, 2024
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रामलाल मारकंडा: ना घर के रहे ना घाट के, कांग्रेस ने भी किया किनारा

स्पीति: हिमाचल में लोकसभा चुनावों के साथ-साथ 6 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव भी होने हैं। ऐसे समय में टिकट पाने के लिए नेता पार्टियां बदलने से परहेज़ नहीं कर रहे हैं। प्रदेश भर में मची हुई इस सियासी रस्साकशी के बीच भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे भाजपा नेता रामलाल मारकंडा को अब बड़ा झटका लगा है।

दल बदल के खेल में मारकंडा को हो गया नुकसान

गौर रहे कि मारकंडा ने कांग्रेस से टिकट पाने कि उम्मीद में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। मगर अब बताया ये जा रहा है कि दल बदल के इस खेल में मारकंडा ना तो अपने घर के रहे हैं और ना ही घाट के। दरअसल, लाहौल स्पीति से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों वाले पैनल की लिस्ट से पूर्व मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा का नाम गायब है।

कांग्रेस ने हाइकमान पर छोड़ा फैसला

मारकंडा द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किए जाने के बाद कांग्रेस ने टिकट के लिए उनके नाम पर फैसला लेने का जिम्मा पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया है। मारकंडा को भाजपा के दिग्गज नेताओं में गिना जाता है। हालांकि, मारकंडा ने छात्र राजनीति की शुरुआत एनएसयूआई से ही की थी। मगर बदलते वक्त के साथ वो भाजपा के हो गए थे।

पेनल ने लाहौल से इन लोगों का नाम दिल्ली भेजा

कांग्रेस पार्टी की संभावित उम्मीदवारों वाले पैनल की सूची में जिला परिषद चेयरमैन अनुराधा, जिला परिषद उपाध्यक्ष राजेश शर्मा, रतन बौद्ध, दोरजे लारजे, पूर्व विधायक रघुवीर ठाकुर, कुंगा बौद्ध और रपटन बौद्ध के नाम शामिल हैं।

निर्दलीय उम्मीदवार क्या जनता करेगी स्वीकार

इनके आलावा भी कुछ और नामों पर भी चर्चा जारी है। कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों वाले पैनल की लिस्ट से मारकंडा का नाम ना शामिल किए जाने से, मारकंडा अब ना तो भाजपा के रहे हैं और ना ही कांग्रेस के।

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बहरहाल, निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उन्हें लाहौल की जनता स्वीकार करेगी या नहीं यह देखने वाली बात होगी।

पूर्व में मंत्री रह चुके हैं मारकंडा

आपको बता दें कि राम लाल मारकंडा ने साल 2017 में लाहौल से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। यहां से जीतकर तत्कालीन जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर भी रहे थे। इसके बाद साल 2022 में कांग्रेस प्रत्याशी रवि ठाकुर ने उन्हें विधानसभा चुनावों में हरा दिया था।

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मगर बाद में रवि ठाकुर कांग्रेस से बगावत कर बैठे और उन्हें भाजपा से टिकट भी मिल गया। इसी बात से नाराज चल रहे मारकंडा भाजपा का साथ छोड़ निर्दलीय चुनाव में उतरने जा रहे हैं।

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