शिमला। हिमाचल में लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के पद से प्रतिभा सिंह को हटाने की तैयारी शुरू हो गई है। हिमाचल में कांग्रेस लोकसभा चुनाव नए प्रदेश अध्यक्ष की अगवाई में लड़ने की तैयारी कर रही है। इसका एक कारण प्रतिभा सिंह को मंडी संसदीय सीट से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में उतारा जाना भी बताया जा रहा है।
प्रतिभा सिंह को मंडी से चुनाव लड़वाने की तैयारी
बता दें कि पिछले दिनों हिमाचल कांग्रेस के बीच मचे सियायी घमासान को सामान्य करने आए प्रयवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में प्रतिभा सिंह को मंडी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव के लिए सशक्त प्रत्याशी बताया था। पर्यवेक्षक प्रतिभा सिंह को मंडी संसदीय सीट से चुनाव लड़वाने के पक्ष में हैं। वहीं उनके स्थान पर हिमाचल में कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने की बात भी पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट अंकित की है।
पर्यवेक्षकों ने की थी प्रतिभा सिंह से चुनाव लड़वाने की पैरवी
हाईकमान को सौंपी रिपोर्ट में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने जल्द ही इस रिपोर्ट पर संज्ञान लेने की गुजारिश की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव तक प्रदेश में अस्थायी तौर पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति होने की अटकलें तेज हो गई हैं। बता दें कि हिमाचल में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए थे।
कांग्रेस के पास चार कार्यकारी अध्यक्षों में से एक भी नहीं
हिमाचल कांग्रेस में प्रतिभा सिंह के साथ बनाए गए चार कार्यकारी अध्यक्षों में हर्ष महाजन और पवन काजल कांग्रेस को छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। वहीं राजेंद्र राणा बागी हो गए हैं और अब उन्होंने कार्यकारी अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया है। इसी तरह से कांग्रेस के चौथे कार्यकारी अध्यक्ष विनय कुमार को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया गया है, जिसके चलते अब वह भी तकनीकी तौर पर कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर कार्यरत नहीं हैं। इस सब के बीच अब कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन होगा, यह एक बड़ा सवाल है।
सरकार और संगठन के बीच कौन बैठा सकता है तालमेल
बता दें कि हिमाचल कांग्रेस में अभी भी सरकार और संगठन के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने सरकार और संगठन को साथ लेकर चलना एक बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, सूत्रों की मानें तो पार्टी के पूर्व में रहे कुछ अध्यक्षों में से ही किसी को दोबारा कार्यभार सौंपे जाने की चर्चा चल रही है। लेकिन अब देखना यह है कि सरकार और संगठन को एकजुट करने की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाती है।