शिमला। हिमाचल के सरकारी स्कूलों के बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता दिख रहा है। प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में मार्च माह में फाइनल परीक्षाएं होनी हैं। लेकिन इससे पहले प्रदेश के सरकारी स्कूलों में तैनात एसएमसी शिक्षकों ने कक्षाओं का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है।
जब कक्षाओं मे शिक्षक ही नहीं पहुंचेंगे, तो बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी और पढ़ाई नहीं होगी तो इन बच्चों का भविष्य क्या होगा। शिक्षकों के इस ऐलान के बाद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के परिजन परेशान हैं।
नियमितीकरण की मांग पर अड़े एसएमसी शिक्षक
बता दें कि नियमितीकरण की मांग को लेकर स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) शिक्षक पिछले पांच दिन से क्रमिक अनशन पर बैठे हुए हैं। लेकिन अभी तक सरकार ने इनसे किसी तरह की कोई वार्ता नहीं की है।
अब इन शिक्षकों ने सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में तैनात करीब 2500 एसएमसी शिक्षकों ने सरकार द्वारा उनकी मांग ना माने जाने पर अब कक्षाओं का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है।
8 फरवरी से करेंगे कक्षाओं का बहिष्कार
एसएमसी शिक्षकों का कहना है कि वह आठ फरवरी से प्रदेश भर में कक्षाओं का बहिष्कार करेंगे। इसके साथ ही नियमितीकरण की मांग को लेकर क्रमिक अनशन और आंदोलन को उनकी मांगे पूरी ना होने तक जारी रखेंगे।
एसएमसी शिक्षकों के इस ऐलान के बाद सरकारी स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो सकता है। जिससे स्कूली बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। संघ ने शिक्षा संचिव सहित शिक्षा निदेशक उच्च और प्रारंभिक को इसकी जानकारी दे दी है।
11 से 16 हजार मिल रहा वेतन नहीं चल रहा घर
अनशन पर बैठे एसएमसी शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुनील शर्मा और प्रवक्ता निर्मल कुमार सहित अन्य शिक्षकों ने बताया कि वह पिछले 12-12 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे है। इसके बाद भी सरकार उन्हें नियमित नहीं कर रही है।
शिक्षकों को 11 से 16 हजार का मासिक वेतन दिया जाता है, जो इस महंगाई के दौर में ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। सरकार द्वारा दिए जा रहे वेतन से घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।
सरकार से लड़ी जाएगी आरपार की लड़ाई
सरकार की इस मनमानी के चलते ही उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि 7 फरवरी तक उनका क्रमिक अनशन जारी रहेगा। आठ फरवरी को प्रदेश भर के सभी 2500 शिक्षक काम छोड़ आंदोलन में शामिल हो जाएंगे।
इससे शिक्षण कार्य पर होने वाले प्रभाव के लिए प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा कि अब सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।