मंडी। आज के युग में डॉक्टर्स को भगवान का दर्जा दिया जाता है मगर लोग ये बात भूल जाते हैं कि आखिरकार वो भी एक इंसान ही हैं और गलतियां उनसे भी होती हैं। मगर कई बार ये गलतियां इतनी अधिक बड़ी हो जाती हैं कि वो मरीज की जान के लिए ही आफत बन जाती है और कई मामलों में इन गलतियों का नुकसान अस्पताल या फिर गलती करने वाले डॉक्टर को उठाना पड़ जाता है।
यहां जानें, क्या है पूरा मामला
ऐसे ही एक मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित एक निजी अस्पताल से जुदा हुआ सामने आया है। जहां मरीज के ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरतना अस्पताल प्रबंधन को भारी पड़ गया है।
बतौर रिपोर्ट्स, ज्योति देवी नामक एक महिला ने मंडी जिला स्थित सुंदरनगर के सुकेत अस्पताल में साल 2005 के जून महीने में पथरी का ऑपरेशन करवाया था। ऑपरेशन के बाद महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी मगर महिला को सर्जरी वाली जगह पर लगातार दर्द होता रहा।
चार साल तक दर्द झेलती रही महिला, दोबारा हुआ ऑपरेशन
महिला को यह दर्द एक दो दिन या महीने नहीं बल्कि पूरे चार साल तक रहा। इसके बाद महिला ने जब चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में जांच करवाई तो उसे इस बात का पता चला कि उसके पेट में 2.5 सेंटीमीटर की एक सुई मौजूद है, जिसे निकालने के लिए उसका फिर से ऑपरेशन करना पड़ा।
इसके बाद महिला ने अस्पताल के अस्पताल के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दी, मगर फैसला महिला के पक्ष में आने के बाद अस्पताल प्रबंधन इस केस को राज्य उपभोक्ता आयोग में ले गया और अंत में यह केस उच्चतम न्यायालय तक जा पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ब्याज सहित इतना जुर्माना चुकाओ
इसके बाद अब देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए अस्पताल को 50 हजार रुपए का जुर्माना अदा करने के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं अस्पताल को 9 फ़ीसदी की दर से ब्याज के साथ यह यह राशि पीड़ित महिला को चुकानी होगी।