Friday, December 13, 2024
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हिमाचल का सरकारी स्कूल – गौशाला में चलती है क्लास, 35 साल से नहीं बनी बिल्डिंग

चंबा। हिमाचल प्रदेश के भरमौर जनजातीय क्षेत्र के राजकीय उच्च विद्यालय सिंयुर की स्थिति का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

35 सालों से स्कूल भवन की मांग कर रहे स्थानीय ग्रामीण और अभिभावक आज भी सरकारी सिस्टम के सामने अपनी आवाज उठा रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। बता दें कि यहां सरकारी स्कूल गौशाला में परिवर्तित हो गया है।

बाहर बांधी है भैंस अंदर पढ़ाई

सिंयुर स्कूल में 50 से अधिक छात्र-छात्राएं गाय और भैंसों के रंभाने की आवाजों के बीच पढ़ाई कर रहे हैं। यह स्कूल एक निजी भवन में चल रहा है, जहां मवेशियों को स्कूल के बाहर खूंटे से बांधकर रखा जाता है,

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जबकि बच्चे अंदर बैठकर अपनी पढ़ाई करते हैं। जब चंबा के भरमौर विधायक डॉ. जनकराज ने हाल ही में इस स्कूल का दौरा किया, तो उन्होंने देखा कि स्कूल की इस बदहाली में 35 साल का समय बीत चुका है।

35 साल से उठा रहे हैं स्कूल भवन की मांग

स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने बताया कि वे पिछले तीन दशकों से स्कूल भवन की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और स्थानीय नेताओं ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। इस समस्या के समाधान के लिए अब वे जोर-शोर से आवाज उठा रहे हैं।

शिक्षा मंत्री से करेंगे मुलाकात

विधायक डॉ. जनकराज ने भी इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के सामने भी इस समस्या को रखेंगे।

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वहीं, जनकराज का कहना है कि पिछले 35 सालों में इस स्कूल की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। शिक्षा के अधिकार को लेकर सरकार का ध्यान इस क्षेत्र पर नहीं है। जनजातीय क्षेत्र की पाठशालाओं की हालत में सुधार लाने के बजाय मौजूदा सरकार इन्हें बंद करने की ओर बढ़ रही है।”

विद्यालय की स्थिति पर एडीएम ने दी सफाई

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भरमौर के एडीएम कुलबीर सिंह राणा ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सिंयुर स्कूल एक निजी भवन में चल रहा है और मवेशियों के बंधे होने के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जानकारी जुटाई जा रही है और उचित कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूल भवन की कमी

बता दें कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर लगातार चर्चा में रहा है और प्रदेश सरकार हमेशा इसे शीर्ष तीन राज्यों में बनाए रखने का दावा करती रही है। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल भवनों की कमी और शिक्षकों की अनुपलब्धता एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जिसका असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।

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सिंयूर स्कूल की यह घटना इसके एक उदाहरण के रूप में सामने आई है, जहां छात्र-छात्राएं मवेशियों के बीच पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यह समस्या न केवल शिक्षा के स्तर को प्रभावित करती है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी खतरे की घंटी है।

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