Friday, December 13, 2024
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हिमाचल का पहला मंदिर: जिसका गर्भगृह से लेकर गुंबद तक, सब सोने का- खर्च हुए 16 करोड़

नयनादेवी। हिमाचल के ऐतिहासिक शक्तिपीठ श्री नयनादेवी मंदिर को अब अगर स्वर्ण मंदिर कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। बिलासपुर जिला में स्थित श्री नयना देवी मंदिर अब पूरी तरह से सोने का बन गया है।

श्री नयना देवी मंदिर के गर्भगृह से लेकर इसका बाहरी हिस्सा और अब इसका गुबंद भी सोने का बन गया है। इस सारे कार्य में लगभग 16 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। मंदिर को सोने का बनाने के लिए लगभग 5 किलो 500 ग्राम सोने का इस्तेमाल किया गया है। जबकि 596 किलोग्राम तांबा भी इस कार्य में उपयोग हुआ है।

50 कारीगरों ने पूरा किया कार्य

मंदिर की इस सजावट का सारा खर्च दिल्ली की एक संस्था उठा रही है। जबकि इसके लिए कारीगर गुजरात और राजस्थान से बुलाए गए थे। इन कारीगरों ने गुबंद पर तांबे पर सोने की परत चढ़ी प्लेंटें लगा दी हैं। इन प्लेटों पर सुंदर नक्काशी की गई है। बता दें कि लगभग 50 कारीगरों ने नवरात्र में दिन रात कार्य कर इस मंदिर को अब पूरी तरह से सोने का बना दिया है।

मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु दान करते हैं सोना चांदी

बता दें कि हिमाचल के मंदिरों में लाखों की संख्या में श्रद्धलु आते हैं। इन श्रद्धालुओं की शक्तिपीठों में अपार श्रद्धा होती है। जब इन श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी हो जाती हैं तो वह यहां सोने और चांदी सहित अन्य चीजों का दान करते हैं। श्री नयना देवी मंदिर के गर्भगृह लगाने के लिए इससे पहले भी एक पंजाब के श्रद्धालु ने तीन किलो सोना दान में दिया था। जबकि मंदिर के गुबंद पर पंजाब के ही एक समाज सेवी संस्था ने सोनाा लगाया था।

मंदिर न्यास की देखरेख में हुआ कार्य

वहीं एक अन्य श्रद्धालु ने अपनी मन्नत पूरी होने पर लगभग 19 किलो ग्राम चांदी का छत मां के चरणों में दान किया था। जानकारी देते हुए मंदिर अधिकारी विपिन ठाकुर ने बताया कि श्री नयना देवी के मुख्य मंदिर के गुबंद को पूरी तरह से सोने का बनाया गया है। इसके लिए एक समाजसेवी संस्था ने 16 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। मंदिर को सोने का बनाने का कार्य मंदिर न्यास की देखरेख में किया गया है।

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