सिरमौर: एक तरफ हिमाचल सरकार जहां भांग की खेती को कानूनी तौर पर मान्यता देने की बात कर रही है। वहीं दूसरी और इसकी आड़ में नशे के व्यापारियों को गैर कानूनी तरीके से नशा उगाने का मानो लाइसेंस मिल गया है। ऐसा हम नहीं लेकिन प्रदेश के जिला सिरमौर के जागरूक लोग कह रहे है। इसकी मुख्य वजह यह है कि सिरमौर पुलिस इन दिनों गैर कानूनी अफीम की खेती करने वालों की धर-पकड़ में व्यस्त है।
इतने पौधे देख उड़े सभी के होश
जानकारी के अनुसार जिला सिरमौर के नाहन विधानसभा क्षेत्र के तहत आते माजरा के सैनवाला, कंडईवाला, जाबल का बाग और श्री रेणुका जी के लठियाना में पुलिस ने लगातार दबिश देकर अफीम की खेती के करीब 6 हजार से भी अधिक पौधों को जब्त कर आरोपियों को हिरासत में लिया है।
बेहतर उपज के लिए किए थे बेहतर प्रबंध
दरअसल, नशे के सौदागर अफीम की खेती गेहूं की फसल के साथ करते हैं, जिसकी बुआई साल के अक्टूबर-नवंबर महीने में होती है। अफीम की पैदावार कम जगह में अच्छी हो इसके लिए वो अपने खेतों में गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट भी डालते हैं। जिससे अफीम के पौधों की बेहतर ग्रोथ और उपज होती है। हालांकि, मार्च-अप्रैल में गेहूं की फसल अपना रंग बदलना शुरू करती है, जो कि मई-जून में कर तैयार हो जाती है।
गेंहू का रंग बदलना पड़ गया भारी
जिला सिरमौर के पुलिस अधीक्षक रमन कुमार मीणा ने बताया कि, पुलिस जांच में यह बात सामने आई कि अफीम की अवैध खेती का भंडाफोड़ इसी कारण संभव हो पाया कि जैसे ही गेहूं की फसल ने अपना रंग बदलना शुरू किया तो वैसे ही लोगों को उसमे अफीम होने की आशंका जताई। छापामारी के बाद यह बात पुख्ता हो पाई कि लोग गेहूं की आड़ में अफीम की खेती करते हैं। जिससे आरोपियों को पकड़ने में आसानी हो पाई। आरोपियों के खिलाफ भी कार्रवाई जारी है।