शिमला। कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश की स्थिति वक्त बीतने के साथ ही साथ खराब होती चली जा रही है। लचर आर्थिक से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान समय में 90 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है।
पंजाबियों से ज्यादा कर्ज हिमाचल वासियों पर
कर्ज के मामले में हिमाचल प्रदेश की हालत पड़ोसी राज्य पंजाब से भी ज्यादा खराब हो गई है। इस समय पंजाब सरकार पर साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। पंजाब की अनुमानित जनसंख्या 3.17 करोड़ है। इस हिसाब से वहां के हर व्यक्ति पर करीब एक लाख 12 हजार रुपए का कर्ज है।
हिमाचल पर 90 हजार करोड़ रुपए का कर्ज
वहीं, अब हिमाचल सरकार पर भी 90 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। हिमाचल प्रदेश की अनुमानित जनसंख्या करीब 70 लाख है। इस हिसाब से यहां पर हर व्यक्ति पर लगभग 1,28,571 रुपए का कर्ज चढ़ गया है।
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सीएम सुक्खू ने लिया 14 हजार करोड़ का कर्ज
दरअसल, पूर्व में जयराम सरकार के पांच साल के कार्यकाल में यह कर्ज लगभग 75 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचा था। वहीं, वर्तमान सुक्खू सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में यह 87,788 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। सीएम सुक्खू ने अपने कार्यकाल में कुल 14 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया है।
कर्ज में डूबा हिमाचल
राज्य पर चढ़े इस कर्ज के लिए दोनों सरकारें बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे को जिम्मेवार ठहरा रही हैं। ऐसे में इस बार लोकसभा चुनाव में राज्य को कर्ज में डुबोने का मुद्दा मुखर है।
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दरअसल, इस साल की शुरुआत में ही हिमाचल सरकार आर्थिक संकट में फंस गई थी। हालात ऐसे थे कि मार्च महीने में अधिकारियों को सैलरी तक देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं थे। जिसके चलते राज्य सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया था।
बीजेपी ने विरासत में छोड़ी देनदारियां
प्रदेश की सुक्खू सरकार का कहना है कि पिछली बीजेपी सरकार विरासत में हिमाचल प्रदेश में देनदारियां छोड़ गई है। जबकि, कांग्रेस ने राज्य में खर्चों की कटौती की है।
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कांग्रेस बिगाड़ रही आर्थिक स्थिति
उधर, बीजेपी का कहना है कि हिमाचल में आर्थिक स्थिति बिगाड़ने के पीछे कांग्रेस का हाथ है। सुक्खू सरकार अपने पिछले सवा साल के कार्यकाल में ही अब तक 15742 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। हालांकि, इस बात का किसी को कुछ पता नहीं है कि सुक्खू सरकार इस पैसे का इस्तेमाल कहा कर रही है।