शिमला। अभी तक आपने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा बुलडोजर चलवाए जाने की कई ख़बरें पढ़ी और सुनी होंगी। मगर अब हिमाचल में भी बुलडोजर एक्शन होने जा रहा है। जी हां, बोलचाल की भाषा में सुक्खू भाई के नाम से जाने वाले सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अब जल्द ही बुलडोजर भाई के नाम से जाने जाएंगे।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश की सरकार कांग्रेस बागी पूर्व विधायक इन्द्रदत्त लखनपाल के खिलाफ सख्त एक्शन लेने का मूड बना लिया है। शिमला नगर निगम की तरफ से बड़सर के पूर्व विधायक इन्द्रदत्त लखनपाल के नाम से शिमला में करवाए गए अवैध निर्माण को लेकर नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस में साफ़ कहा गया है कि अगर लखनपाल कल यानि 23 मार्च को व्यक्तिगत तौर पर मामले की सुनवाई में शामिल होने के लिए नहीं पहुंचते हैं, तो उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
9 साल पुराने मामले में दिया गया है नोटिस
आपको बता दें कि जिस मामले में इन्द्रदत्त लखनपाल को यह नोटिस जारी हुआ है। वह मामला साल 2015 का है, यानी आज से करीब 9 साल पुराना। बतौर रिपोर्ट्स, शिमला के तारा देवी इलाके में इन्द्रदत्त लखनपाल का घर है, जिसमें पूर्व विधायक द्वारा अवैध निर्माण करवाने का आरोप लगा हुआ है।
विधायक ने FB पर लिखा- हुजूर का फरमान आया है
वहीं, नगर निगम द्वारा पुराने मामले में नोटिस दिए जाने पर पलटवार करते हुए पूर्व विधायक इन्द्रदत्त लखनपाल ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि आज हुजूर की ओर से फरमान आया है। आज हुज़ूर की ओर से फरमान आया है। 253 का नोटिस दिया है। बताओ कि तुम्हारा घर क्यों न तोड़ दिया जाए ? मेरा घर तो लोगों के दिलों में है। पर खैर दिल भी तोड़ ही दिए आपने। मैं बहुत समय चुप रहा। बहुत चीज़ें ऐसी बोल सकता हूँ जो शायद मुख्यमंत्री जी को भीतर तक चुभ जाएँ। पार्टी में रहा हूँ, बहुत कुछ जानता हूँ। मगर कृतघ्न नहीं हूँ।
इसके अलावा भी इन्द्रदत्त लखनपाल ने आगे भी काफी कुछ लिखकर अपना गुबार निकाला है और सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को अपने निशाने पर लिया है। इन्द्रदत्त लखनपाल आगे लिखते हैं कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कह रहीं हैं कि कार्यकर्त्ता हताश है, उनके काम नहीं हो रहे। और ये तब जब आपने सबको कैबिनेट रैंक बाँट दिए, और अब ट्रांसफर भी रोज़ कर रहे हो, फिर भी प्रदेशाध्यक्ष को ये सब कहना पड़ रहा है। ऐसे में अपनी विधायकी की परवाह न करते हुए आपको जगाना किसी को तो करना पड़ता। दिल बड़ा रखिये मुख्यमंत्री जी। सरकारें द्वेष से नहीं प्रेम से चला करती हैं।